Punjab Assembly Elections 2027: पंजाब की राजनीति में एक नया मोड़ उस वक्त आया जब प्रसिद्ध पंजाबी गायक दिवंगत सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने 2027 के विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा की. मानसा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम उन्होंने सिर्फ राजनीति के लिए नहीं, बल्कि न्याय की लड़ाई को मजबूती देने और अपने बेटे की विरासत को जिंदा रखने के मकसद से उठाया है.
सिस्टम से टकराएंगे, न्याय की लड़ाई खुद लड़ेंगे
एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में बलकौर सिंह ने कहा, "हां, मैं चुनाव लड़ूंगा, क्योंकि सिस्टम में आकर ही बदलाव संभव है. बाहर से आवाज़ लगाने से कुछ नहीं होता." उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि "सीएम की हर बात झूठी साबित होती है. चुनाव आते ही वह वादों की झड़ी लगाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही होती है." गोल्डी बराड़ की गिरफ्तारी को लेकर उन्होंने कहा, "मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता, क्योंकि उनकी हर बात का सच आखिरकार फ्रॉड ही निकलता है."
सिद्धू मूसेवाला की बरसी से ठीक पहले आया बड़ा फैसला
बलकौर सिंह ने यह बड़ा राजनीतिक ऐलान उस समय किया है, जब सिद्धू मूसेवाला की बरसी बस दो दिन दूर है. भले ही उन्होंने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे किस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उनके इस फैसले को मूसेवाला समर्थकों में नई उम्मीद और भावनात्मक जुड़ाव के रूप में देखा जा रहा है.
जब सिद्धू मूसेवाला ने भी आजमाई थी राजनीतिक किस्मत
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सिद्धू मूसेवाला ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मानसा सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि, उन्हें आम आदमी पार्टी के विजय सिंगला के हाथों हार का सामना करना पड़ा. चुनाव के कुछ ही महीने बाद, 29 मई 2022 को उन्हें सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसकी जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग ने ली थी. अब जब उनके पिता उसी सीट से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं, तो यह सीट एक बार फिर से प्रदेश की सियासत के केंद्र में आ गई है.
मूसेवाला समर्थकों में नई उम्मीद की लहर
बलकौर सिंह का राजनीति में उतरना सिर्फ एक चुनावी फैसला नहीं, बल्कि इंसाफ की लड़ाई और बेटे की स्मृति को राजनीतिक आवाज़ देने का प्रयास माना जा रहा है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस राजनीतिक दल से जुड़ते हैं और मानसा की सियासी फिजा में क्या बदलाव लाते हैं. यह फैसला मूसेवाला के चाहने वालों के लिए न सिर्फ भावनात्मक रूप से अहम है, बल्कि पंजाब की राजनीति में भी एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है.
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