'आप खेल के लंबे प्रारूप की खूबसूरती की याद दिलाते थे', पीएम मोदी ने चेतेश्वर पुजारा को लिखा पत्र

    भारतीय क्रिकेट के ऐसे ही एक जांबाज खिलाड़ी, चेतेश्वर पुजारा, जिन्होंने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया, को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों से लिखा एक पत्र भेजा.

    PM Modi wrote a letter to Cheteshwar Pujara
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: कुछ लोग मैदान छोड़ देते हैं, लेकिन उनके नाम और काम हमेशा दिलों में बसे रहते हैं. भारतीय क्रिकेट के ऐसे ही एक जांबाज खिलाड़ी, चेतेश्वर पुजारा, जिन्होंने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया, को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों से लिखा एक पत्र भेजा. इस पत्र में जो भावनाएं थीं, वो सिर्फ एक नेता की ओर से खिलाड़ी के लिए औपचारिक संदेश नहीं थे, बल्कि यह एक भारतीय नागरिक की तरफ से सच्चे दिल से दी गई श्रद्धांजलि थी, एक ऐसे योद्धा को जिसने टेस्ट क्रिकेट की आत्मा को कभी मरने नहीं दिया.

    तेजी के दौर में पुजारा ने धैर्य की मिसाल कायम की

    आज के समय में जब क्रिकेट में चौके-छक्कों की बौछार ही सफलता की पहचान बन चुकी है, चेतेश्वर पुजारा ने अपने शांत, संयमित और ठहरे हुए खेल से यह याद दिलाया कि असली क्रिकेट क्या होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बात को बेहद सुंदर शब्दों में अपने पत्र में कहा कि, “क्रिकेट के छोटे प्रारूपों के प्रभुत्व वाले युग में आप खेल के लंबे प्रारूप की खूबसूरती की याद दिलाते थे.”

    ये शब्द अपने आप में पुजारा की पूरी क्रिकेट यात्रा की पहचान हैं. वो खिलाड़ी जो कभी मैदान पर हड़बड़ी नहीं करता, जो वक्त से आगे नहीं भागता, बल्कि वक्त के साथ बहता है. जो गेंद को पढ़ता है, उसे समझता है और फिर उसका जवाब देता है बिल्कुल एक साहित्यकार की तरह जो शब्दों को चुन-चुनकर पन्ने पर उकेरता है.

    पुजारा की बल्लेबाज़ी सिर्फ रन नहीं, बल्कि टीम की रीढ़ थी

    प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में खासतौर पर उस ऐतिहासिक क्षण का ज़िक्र किया, जब 2018 और 2021 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ जीतकर इतिहास रच दिया था. उन्होंने कहा कि पुजारा ने विदेशी ज़मीन पर भारत की जीत की नींव रखी. उन्होंने मैदान पर अपने बल्ले से जो जवाब दिया, वह भारत की क्रिकेट आत्मा की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति बन गया.

    उनकी बल्लेबाज़ी सिर्फ रनों का जोड़ नहीं थी, बल्कि भारतीय टीम की रीढ़ बन चुकी थी. जब-जब हालात मुश्किल हुए, पुजारा दीवार बनकर खड़े हो गए. उन्होंने दिखाया कि टीम के लिए कैसे लड़ा जाता है. उन्होंने ये साबित किया कि क्रिकेट में तामझाम की नहीं, संघर्ष और समर्पण की कीमत होती है.

    घरेलू क्रिकेट के लिए भी रहा उनका अपार समर्पण

    एक अंतरराष्ट्रीय सितारा होने के बावजूद चेतेश्वर पुजारा ने कभी घरेलू क्रिकेट को नज़रअंदाज़ नहीं किया. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में इस बात की सराहना की कि पुजारा ने हमेशा सौराष्ट्र के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भाग लिया और राजकोट को क्रिकेट के मानचित्र पर स्थायी रूप से स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई.

    पुजारा ने अपने खेल और संकल्प से यह दिखाया कि जड़ें जितनी गहरी हों, शाखाएं उतनी ही ऊंचाई तक पहुंचती हैं. आज का कोई भी युवा खिलाड़ी उनसे यह सीख सकता है कि अपने क्षेत्र, अपनी टीम और अपनी पहचान को कभी नहीं भूलना चाहिए, चाहे आप कितनी भी ऊंचाई पर क्यों न पहुंच जाएं.

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