नई दिल्लीः करीब 180 साल पहले, भारत से दूर एक छोटे से कैरेबियाई द्वीप पर कुछ थके-हारे भारतीय मजदूर उतरे थे. वे अपने साथ सिर्फ उम्मीदें लाए थे—बेहतर जिंदगी की उम्मीद, सम्मान की उम्मीद, और अपनी पहचान को बनाए रखने की उम्मीद. आज, उन्हीं प्रवासियों की पांचवीं-छठी पीढ़ी त्रिनिदाद और टोबैगो की आत्मा बन चुकी है. और अब, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3-4 जुलाई को जब वहां पहुंचेंगे, तो यह सिर्फ एक राजनयिक यात्रा नहीं होगी—यह एक भावनात्मक मिलन, ऐतिहासिक सम्मान और साझेदारी की नई शुरुआत होगी.
जहां मिट्टी में है भारत की खुशबू, वहां पहुंचेगा हिंदुस्तान का नेतृत्व
त्रिनिदाद और टोबैगो की लगभग 13.6 लाख की आबादी में करीब 40-45% लोग भारतीय मूल के हैं. ये वो लोग हैं जिनके पूर्वज 1845 में 'फातेल रजाक' नामक जहाज से यहां आए थे. आज वे वहां की राजनीति, संस्कृति और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
इस समय वहां की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर—दोनों भारतीय मूल की महिलाएं हैं, जो गर्व से खुद को ‘भारत की बेटियां’ कहती हैं. ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा केवल राजनयिक नहीं, सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्तों को गहराई देने वाली यात्रा बन गई है.
1845 से 2025: मेहनत से इतिहास बनाने तक का सफर
30 मई 1845 को जब पहली बार भारतीय मजदूर त्रिनिदाद पहुंचे, तब किसी को अंदाज़ा नहीं था कि गन्ने के खेतों में पसीना बहाने वाले ये लोग एक दिन देश की राजनीतिक बागडोर संभालेंगे. कठिन हालात, भाषा की दीवारें और सांस्कृतिक अलगाव—इन सबके बीच भारतीय प्रवासी अपने त्योहार, पूजा-पाठ, भाषा और जीवनशैली को जीवित रखने में सफल रहे.
आज वहां होली, दीवाली, रामलीला और भोजपुरी संगीत आम जीवन का हिस्सा हैं. योग को लेकर भी जबरदस्त उत्साह है. 2024 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर क्वीन्स पार्क सवाना में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे. यह सब भारतीय विरासत की गहराई और स्वीकार्यता को दर्शाता है.
भारत-त्रिनिदाद रिश्तों की नई उड़ान
पीएम मोदी की यह यात्रा 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की त्रिनिदाद यात्रा है. वे त्रिनिदाद की संसद को संबोधित करेंगे—एक ऐसा लोकतांत्रिक मंच जिसकी स्पीकर की कुर्सी भारत ने 1968 में भेंट की थी. यह दोनों देशों के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की अनोखी मिसाल है.
प्रधानमंत्री मोदी की बैठकें राष्ट्रपति कंगालू और प्रधानमंत्री बिसेसर से होंगी, जहां ऊर्जा, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि, स्वास्थ्य, खेल और आपदा प्रबंधन जैसे मुद्दों पर समझौते की उम्मीद है. त्रिनिदाद, भारत के UPI सिस्टम को अपनाने वाला पहला कैरेबियाई देश है, जो डिजिटल भारत की वैश्विक पहुंच का प्रतीक है.
डायस्पोरा कार्यक्रम: जहां दिल मिलते हैं
कूवा में आयोजित डायस्पोरा कार्यक्रम इस यात्रा का एक भावुक पहलू होगा, जिसमें हजारों भारतीय मूल के लोग हिस्सा लेंगे. ये वे लोग हैं जिनके दिल अब भी भारत के साथ धड़कते हैं. यह आयोजन केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि 180 साल पुराने रिश्ते की आत्मा को छूने वाला होगा. पीएम मोदी खुद कई बार कह चुके हैं कि “भारतीय डायस्पोरा भारत की वैश्विक पहचान को नई ऊंचाई देता है.” इस यात्रा में वह उसी भावना को साकार होते देखेंगे.
सम्मान और साझेदारी का प्रतीक
4 जुलाई को पीएम मोदी त्रिनिदाद के सर्वोच्च नागरिक सम्मान—‘ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद और टोबैगो’ से सम्मानित किए जाएंगे. इसके अलावा, वे संसद भवन परिसर में पौधरोपण कार्यक्रम में हिस्सा लेकर भारत और त्रिनिदाद की साझी विरासत को एक नई जड़ देंगे.
सिर्फ अतीत नहीं, भविष्य की साझेदारी भी
भारत और त्रिनिदाद के राजनयिक संबंध 1962 से हैं, और आज यह रिश्ता केवल संस्कृति या भावनाओं तक सीमित नहीं रहा. भारत ने त्रिनिदाद को कोविड वैक्सीन, कृषि उपकरण और तकनीकी सहायता दी है. द्विपक्षीय व्यापार $300 मिलियन से अधिक है, और इस यात्रा से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है. यह यात्रा भारत की ग्लोबल साउथ नीति का हिस्सा भी है, जहां त्रिनिदाद जैसे छोटे देशों को भारत समानता, साझेदारी और सहयोग की भावना से देखता है.
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