नई दिल्ली: भारत की अंतरिक्ष यात्रा ने एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ लिया है. भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में Axiom-4 अंतरिक्ष मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से लौटे हैं, उन्होंने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष मुलाकात की. यह मुलाकात न सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री और देश के प्रधानमंत्री के बीच की थी, बल्कि यह उस नई उड़ान की झलक थी जिसे भारत आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष में भरने वाला है.
मुलाकात के दौरान जैसे ही ग्रुप कैप्टन शुभांशु पीएम मोदी के सामने पहुंचे, प्रधानमंत्री ने उन्हें अपने गर्मजोशी भरे अंदाज में गले लगाकर स्वागत किया. इस भावनात्मक पल ने यह दिखा दिया कि भारत का नेतृत्व अपने वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों के योगदान को किस कदर सम्मान देता है.
अंतरिक्ष से लौटने के बाद पहली मुलाकात
शुभांशु शुक्ला की यह पीएम मोदी से पहली मुलाकात थी, जो Axiom-4 मिशन से सफल वापसी के बाद हुई. इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में बिताए अपने 14 दिनों के मिशन के अनुभव साझा किए. उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन पर किए गए वैज्ञानिक प्रयोग, वहां की स्थितियां, और मिशन के दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन की बारीकियां प्रधानमंत्री को बताईं.
#WATCH | Group Captain Shubhanshu Shukla, who was the pilot of Axiom-4 Space Mission to the International Space Station (ISS), meets Prime Minister Narendra Modi. pic.twitter.com/0uvclu9V2b
— ANI (@ANI) August 18, 2025
शुभांशु ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा की कुछ खास तस्वीरें भी पीएम मोदी को दिखाईं, जिनमें भारतीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आत्मनिर्भर भारत की झलक और भविष्य की योजना की एक झलक नजर आई.
पीएम मोदी ने की भारत की अंतरिक्ष दृष्टि पर चर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर सदैव उत्साहित और प्रतिबद्ध रहते हैं. वह न केवल अंतरिक्ष यात्रियों के साहस को सराहते हैं, बल्कि भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं. शुभांशु से मुलाकात के दौरान भी पीएम मोदी ने यही दिखाया.
उन्होंने Axiom-4 मिशन में भारत की भूमिका, अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय वैज्ञानिक प्रयोगों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की. उन्होंने यह भी कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम आज आत्मनिर्भरता और नवाचार का प्रतीक बन चुका है.
रविवार को दिल्ली पहुंचते हुआ जोरदार स्वागत
शुभांशु शुक्ला रविवार तड़के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, दिल्ली पहुंचे थे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, और कई वरिष्ठ अधिकारी व आम नागरिक बड़ी संख्या में उन्हें सम्मान देने पहुंचे थे.
वहां का माहौल एक गौरवशाली क्षण जैसा था, जहां देश ने अपने अंतरिक्ष यात्री को एक नायक की तरह स्वीकार किया. यह सिर्फ एक शख्स का नहीं, बल्कि पूरे भारत के सपने का सम्मान था.
Axiom-4 मिशन: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
शुभांशु शुक्ला ने जून-जुलाई 2025 के दौरान Axiom-4 मिशन में भाग लिया था. यह मिशन न केवल भारत, बल्कि हंगरी और पोलैंड के लिए भी ऐतिहासिक था क्योंकि इन देशों ने भी दशकों बाद अपने अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन पर भेजा.
शुक्ला इस मिशन के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचे और वहां वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया. उन्होंने ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) का प्रतिनिधित्व करते हुए वहां भारत में विकसित की गई वैज्ञानिक किट्स का प्रयोग किया, जो आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने का प्रतीक बना.
इस मिशन में उन्होंने ऐसे प्रयोग किए जो भविष्य के गगनयान मिशन और भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अहम साबित होंगे. इससे यह साफ हो गया कि भारत अब न केवल स्पेसफ्लाइट भेज रहा है, बल्कि विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
संसद में भी हुआ जिक्र, बनी ऐतिहासिक चर्चा
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की उपलब्धि केवल आम जनता तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि यह भारतीय संसद में भी गूंजी. सोमवार को राज्यसभा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस मिशन पर विशेष चर्चा की. उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत की भविष्य की अंतरिक्ष योजनाओं का आधार है.
उन्होंने यह भी घोषणा की कि प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प है कि वर्ष 2040 तक एक भारतीय चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. साथ ही बताया कि भारत का स्पेस प्रोग्राम सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और स्वदेशी समाधान की मिसाल भी बन चुका है.
अंतरिक्ष में भारत की ताकत का प्रदर्शन
डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद में यह भी कहा कि जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ हुआ, उस वक्त अंतरिक्ष से भारत की क्षमताओं को पूरी दुनिया ने देखा. उन्होंने बताया कि शुभांशु शुक्ला ने जो किट्स और उपकरण प्रयोग किए, वे पूरी तरह भारत में बने थे और यही आत्मनिर्भर भारत की असली शक्ति है.
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