चीन के खिलाफ फिलीपींस ने तैनात किया मेड इन इंडिया हथियार, ऑपरेशन सिंदूर में हो चुका है इस्तेमाल

    Brahmos Missile Philippines Update: दुनिया तेजी से बहुध्रुवीय शक्ति-संतुलन की ओर बढ़ रही है. एक ओर अमेरिका और चीन के बीच वैश्विक प्रभुत्व की होड़ है, तो दूसरी ओर छोटे मगर रणनीतिक रूप से अहम देश अपनी रक्षा नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं.

    Philippines deployed Made in India Brahmos weapons against China Operation Sindoor
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    Brahmos Missile Philippines Update: दुनिया तेजी से बहुध्रुवीय शक्ति-संतुलन की ओर बढ़ रही है. एक ओर अमेरिका और चीन के बीच वैश्विक प्रभुत्व की होड़ है, तो दूसरी ओर छोटे मगर रणनीतिक रूप से अहम देश अपनी रक्षा नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं. ऐसे ही एक देश का नाम है फिलीपींस, जो इस वक्त दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक नीतियों का सीधा सामना कर रहा है.

    इस चुनौती से निपटने के लिए फिलीपींस ने अब भारत की ओर रुख किया है, जिससे न केवल उसका रक्षा ढांचा मजबूत हो रहा है, बल्कि भारत को भी एक नया रणनीतिक सहयोगी मिल रहा है.

    चीन की आक्रामकता के खिलाफ फिलीपींस की कड़ी तैयारी

    दक्षिण चीन सागर में लंबे समय से फिलीपींस और चीन के बीच द्वीपों और समुद्री सीमाओं को लेकर विवाद चल रहा है. चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा करता है और अक्सर आक्रामक नौसैनिक गतिविधियां करता रहता है. जवाब में अब फिलीपींस ने अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है.

    फिलीपींस सरकार ने 34.5 अरब डॉलर के बजट के साथ अपना रक्षा आधुनिकीकरण कार्यक्रम "री-होराइजन 3" तेज कर दिया है, जिसमें उन्नत हथियार प्रणालियों की खरीद से लेकर नई रणनीति तक सब कुछ शामिल है.

    फिलीपींस की तटीय रक्षा की रीढ़

    भारत और फिलीपींस के बीच 2022 में हुआ 375 मिलियन डॉलर का सौदा न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह भारत के लिए एक बड़ा डिफेंस एक्सपोर्ट ब्रेकथ्रू भी था.

    ब्रह्मोस क्यों है इतना खतरनाक?

    • सुपरसोनिक गति: मैक 2.8 से 3.0, यानी आवाज की गति से तीन गुना तेज
    • इंजन तकनीक: लिक्विड-ईंधन चालित रैमजेट इंजन
    • रोक पाना बेहद मुश्किल
    • समुद्र, जमीन और वायु, तीनों जगह से लॉन्च की जा सकती है
    • खासतौर पर एंटी-शिप और तटीय रक्षा के लिए उपयोगी
    • पहली खेप- अप्रैल 2024 | दूसरी खेप- अप्रैल 2025

    फिलीपींस अब इन मिसाइलों को अपने संवेदनशील तटों पर तैनात कर रहा है, जिससे वह चीन के किसी भी संभावित समुद्री हमले या घुसपैठ का जवाब तेजी से दे सके.

    अमेरिकी निर्भरता से बाहर निकल रहा फिलीपींस

    फिलीपींस की नीति अब स्पष्ट है, एक ही देश पर रक्षा के लिए निर्भर नहीं रहना. इस नीति के तहत भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को अगस्त 2025 में नई ऊंचाइयों पर ले जाया गया.

    भारत की भूमिका क्यों खास है?

    • उन्नत लेकिन किफायती हथियार प्रणाली
    • तकनीकी ट्रांसफर का वादा
    • साफ़-सुथरी डिप्लोमेसी- बिना राजनीतिक दबाव के सहयोग
    • एशिया केंद्रित दृष्टिकोण, जो फिलीपींस जैसे देशों के लिए भरोसेमंद है
    • जनरल रोमियो ब्राउनर जूनियर (फिलीपींस आर्म्ड फोर्सेज के चीफ) ने खुद कहा, “भारतीय हथियार गुणवत्ता में बेहतरीन हैं, लेकिन महंगे नहीं.”

    फिलीपींस के पास अभी जिन मिसाइल प्रणालियों का संचालन हो रहा है, उनमें शामिल हैं:

    • 3 ब्रह्मोस बैटरियां (भारत से)
    • 3 स्पाइडर-MR बैटरियां (इजरायल से)
    • सी-स्टार एंटी-शिप मिसाइलें (द. कोरिया)
    • मिस्ट्रल-3 SAMs (फ्रांस)
    • स्पाइक मिसाइल सिस्टम (इजरायल)

    हालांकि ये संख्या अभी सीमित है और देश की सुरक्षा जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं मानी जा रही, लेकिन री-होराइजन 3 के तहत इस संख्या में इजाफा तय है.

    भारत-फिलीपींस रक्षा संबंध, रणनीति या अवसर?

    भारत के लिए यह सिर्फ एक हथियार निर्यात का सौदा नहीं, बल्कि "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" का विस्तार है. फिलीपींस भारत को आर्थिक लाभ देता है. साथ ही भारत, फिलीपींस को रणनीतिक ताकत देता है. दोनों देश चीन के विस्तारवादी रवैये को संतुलित करने की नीति पर सहमत हैं. यह साझेदारी एशिया में एक नया सुरक्षा आर्किटेक्चर बना सकती है, जहां अमेरिका और चीन के परे जाकर स्वतंत्र और सशक्त देशों का गठजोड़ उभर रहा है.

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