Delhi News: दिल्ली में बिगड़ती हवा की गुणवत्ता के बीच राजधानी सरकार ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाने का ऐलान किया है. दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि गुरुवार, 18 दिसंबर से राजधानी में उन वाहनों को पेट्रोल या डीजल नहीं दिया जाएगा, जिनके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र यानी PUC (Pollution Under Control Certificate) नहीं होगा. सरकार का कहना है कि अब ईंधन भरवाने के लिए PUC अनिवार्य होगा.
इसके साथ ही सरकार ने यह भी चेतावनी दी है कि जिन वाहनों के पास PUC सर्टिफिकेट नहीं पाया गया, उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 7 लाख रुपये से अधिक का चालान कट सकता है.
#WATCH | Delhi Environment Minister Manjinder Singh Sirsa says, "It is impossible for any elected government to reduce AQI in 9-10 months. I apologise for the pollution in Delhi. We are doing better work than the dishonest AAP government, and we have reduced AQI each day. This… pic.twitter.com/hmUoMv57Wf
— ANI (@ANI) December 16, 2025
“दिल्ली की हवा लंबे समय से इसी स्तर पर है”
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस फैसले को जरूरी बताते हुए कहा कि राजधानी में प्रदूषण की स्थिति लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को “फेयर स्टेज” कहा जा सकता है, लेकिन यह कोई नई समस्या नहीं है.
मंत्री के अनुसार, पिछले करीब 10 वर्षों से दिल्ली इसी स्तर के प्रदूषण से जूझ रही है. उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि पिछले साल इसी अवधि में औसत AQI लगभग 380 के आसपास था, जबकि इस साल यह करीब 363 दर्ज किया गया है. सरकार का दावा है कि हालात अब भी चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन बीते वर्ष की तुलना में कुछ सुधार जरूर हुआ है.
प्रदूषण के जिम्मेदार अब विरोध कर रहे हैं: सिरसा
मनजिंदर सिंह सिरसा ने प्रदूषण को लेकर राजनीति करने वालों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिल्ली से बाहर बैठे कुछ लोग इस समस्या पर बयानबाजी और विरोध कर रहे हैं, जबकि प्रदूषण की स्थिति उन्हीं की नीतियों का नतीजा है.
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जो लोग अब विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे ही इस समस्या को छोड़कर गए थे और आज आराम से बैठकर फिल्में देख रहे हैं. मंत्री ने कहा कि प्रदूषण दिल्ली को विरासत में मिली एक गंभीर बीमारी है, जिससे निपटने के लिए मौजूदा सरकार ठोस कदम उठा रही है.
कूड़े के पहाड़ों पर कार्रवाई, लैंडफिल की ऊंचाई घटी
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कचरा प्रबंधन पर भी जोर दिया है. पर्यावरण मंत्री ने बताया कि राजधानी में मौजूद कूड़े के पहाड़ों की ऊंचाई में उल्लेखनीय कमी लाई गई है.
सरकार के अनुसार, लैंडफिल साइट्स पर कचरे की ऊंचाई करीब 15 मीटर तक कम की जा चुकी है. इसके साथ ही कुल 202 एकड़ क्षेत्र में फैले कचरे में से अब तक लगभग 45 एकड़ जमीन को साफ किया जा चुका है. सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया लगातार जारी है और आने वाले समय में और क्षेत्र को मुक्त किया जाएगा.
लगातार हो रहे हैं सुधार के प्रयास
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक साथ कई मोर्चों पर काम किया है. उन्होंने दावा किया कि पिछले सालों की तुलना में इस बार दिसंबर महीने में कुछ साफ दिन देखने को मिले हैं, जो इस बात का संकेत है कि उठाए गए कदम असर दिखा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अब सरकार और ज्यादा सख्ती बरतने के मूड में है, ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सके.
PUC अनिवार्यता से क्या बदलेगा?
सरकार का मानना है कि ईंधन को PUC से जोड़ने से बिना जांच के चलने वाले वाहनों पर रोक लगेगी. इससे न सिर्फ पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान आसान होगी, बल्कि लोगों को समय पर अपनी गाड़ियों की जांच कराने के लिए भी मजबूर होना पड़ेगा. दिल्ली सरकार का कहना है कि यह कदम अस्थायी नहीं बल्कि लंबे समय की रणनीति का हिस्सा है, जिससे राजधानी की हवा को धीरे-धीरे बेहतर बनाया जा सके.
जनता से सहयोग की अपील
सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे नियमों का पालन करें, समय पर PUC सर्टिफिकेट बनवाएं और प्रदूषण कम करने में प्रशासन का साथ दें. अधिकारियों का कहना है कि केवल सरकारी कदमों से नहीं, बल्कि नागरिकों की भागीदारी से ही दिल्ली की हवा को सांस लेने लायक बनाया जा सकता है.
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