खेती का टाइम चल रहा है... पाकिस्‍तान ने फिर रोया सिंधु जलसंधि का रोना, भारत को पत्र लिखकर मांगा जवाब

    भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जल विवाद एक बार फिर गहरा गया है.

    Pakistan upset over suspension of Indus Water Treaty
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    इस्लामाबाद: भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जल विवाद एक बार फिर गहरा गया है. पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि चेनाब नदी के जल प्रवाह में अचानक बदलाव देखा जा रहा है, जिससे देश के कृषि क्षेत्रों और आम जनजीवन पर असर पड़ सकता है. इस मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार ने भारत को औपचारिक रूप से पत्र भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है.

    पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि चेनाब नदी में पानी के स्तर में कमी और अचानक उतार-चढ़ाव को लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही है. मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा कि यह मामला बेहद संवेदनशील है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता.

    जल प्रवाह में अचानक बदलाव का दावा

    पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के अनुसार, हाल के दिनों में चेनाब नदी के बहाव में असामान्य परिवर्तन दर्ज किया गया है. मंत्रालय का कहना है कि कभी पानी का स्तर अचानक घट जाता है और कभी बिना किसी पूर्व सूचना के अधिक मात्रा में पानी छोड़ा जाता है. प्रवक्ता अंद्राबी ने पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से यह भी दावा किया कि भारत की ओर से जल प्रवाह को लेकर कोई पूर्व चेतावनी नहीं दी गई.

    उनका कहना था कि इस तरह के बदलाव फसल चक्र के दौरान होने से किसानों, ग्रामीण आबादी और जल पर निर्भर अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है.

    भारत को लिखा गया पत्र

    पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बताया कि पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त ने अपने भारतीय समकक्ष को एक पत्र भेजा है. इस पत्र में चेनाब नदी के जल प्रवाह में हो रहे बदलावों पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. मंत्रालय का कहना है कि यह प्रक्रिया सिंधु जल संधि के तहत तय की गई औपचारिक व्यवस्था का हिस्सा है.

    अंद्राबी ने कहा, "अगर पानी के बहाव के साथ इस तरह का व्यवहार जारी रहा, तो इससे लोगों की आजीविका, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता खतरे में पड़ सकती है."

    सिंधु जल संधि का हवाला

    पाकिस्तान ने एक बार फिर 1960 में हुई सिंधु जल संधि का हवाला देते हुए कहा कि यह एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग का आधार रहा है. इस संधि के तहत:

    • सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया था.
    • जबकि रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का उपयोग भारत के हिस्से में आया था.

    पाकिस्तान का कहना है कि संधि के तहत भारत को पश्चिमी नदियों के जल प्रवाह में मनमानी करने का अधिकार नहीं है.

    भारत का रुख और पृष्ठभूमि

    भारत ने हाल के वर्षों में बार-बार यह स्पष्ट किया है कि सीमा पार आतंकवाद और द्विपक्षीय संबंधों के बीच सीधा संबंध है. भारत की ओर से यह संदेश दिया गया है कि “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते.”

    पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी, के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला लिया. इसके बाद से ही पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठा रहा है.

    अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील

    पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह भारत पर सिंधु जल संधि का पालन करने के लिए दबाव बनाए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ सभी विवादों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है, लेकिन अपने नागरिकों के जल अधिकारों पर कोई समझौता नहीं करेगा.

    पाकिस्तान पहले ही भारत के इस कदम को “एक्ट ऑफ वॉर” करार दे चुका है और यह दावा करता रहा है कि भारत को एकतरफा रूप से संधि निलंबित करने का अधिकार नहीं है.