जब एक देश शांति का हाथ बढ़ाता है, तो उम्मीद की जाती है कि सामने वाला देश भी जवाब में समझदारी दिखाएगा. लेकिन पाकिस्तान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह न तो शांति की भाषा समझता है, न ही सीमा पार से छेड़खानी बंद करने को तैयार है. भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर के तहत सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को पूरी तरह से छोड़ दिया, तब भी पाकिस्तान ने जवाब में कायरता दिखाई. निहत्थे नागरिकों और सैन्य ठिकानों पर हमला करने की नाकाम कोशिश की.
ड्रोन और मिसाइलों से हमला
7 और 8 मई की रात पाकिस्तान ने उत्तरी और पश्चिमी भारत के कई संवेदनशील क्षेत्रों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने की कोशिश की. अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, और भुज सहित उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की. लेकिन भारत की इंटीग्रेटेड काउंटर यूएएस ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ने इन सभी हमलों को विफल कर दिया. कई जगहों से पाकिस्तानी हमले का मलबा बरामद हुआ है.
लाहौर में वायु रक्षा प्रणाली को किया निष्क्रिय
भारतीय सशस्त्र बलों ने गुरुवार सुबह पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर कार्रवाई की. जानकारी के अनुसार, लाहौर के पास एक वायु रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया गया है. हालांकि भारत की यह प्रतिक्रिया भी सीमा के उसी क्षेत्र तक सीमित रही, जहां से हमले हुए थे.
गोलाबारी में 16 मासूमों की जान गई
इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के कई सेक्टरों — कुपवाड़ा, बारामुल्ला, पुंछ, उरी, राजौरी — में अंधाधुंध मोर्टार और भारी आर्टिलरी से गोलाबारी शुरू कर दी. इस गोलाबारी में 16 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें तीन महिलाएं और पांच मासूम बच्चे भी शामिल हैं.
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