आतंकवादियों के संरक्षक को मिली आतंक रोकने की जिम्मेदारी, UNSC में पाकिस्तान बना इस कमेटी का अध्यक्ष

    पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की दो प्रमुख समितियों- तालिबान प्रतिबंध समिति और आतंकवाद रोधी समिति (CTC) में प्रमुख भूमिका सौंपी गई है.

    Pakistan becomes chairman of Taliban sanctions committee
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    न्यूयॉर्क: एक ऐसे घटनाक्रम में जो भू-राजनीतिक विश्लेषकों के लिए खासा महत्वपूर्ण है, पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की दो प्रमुख समितियों- तालिबान प्रतिबंध समिति और आतंकवाद रोधी समिति (CTC) में प्रमुख भूमिका सौंपी गई है. पाकिस्तान को तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और CTC का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

    यह जिम्मेदारियां ऐसे समय आई हैं जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तालिबान नेतृत्व के बीच रिश्ते लगातार बदलते समीकरणों से गुजर रहे हैं.

    तालिबान प्रतिबंध समिति: नेतृत्व की नई चुनौती

    तालिबान प्रतिबंध समिति, जिसे औपचारिक रूप से 1988 समिति के रूप में जाना जाता है, अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए खतरा माने जाने वाले व्यक्तियों, समूहों और संस्थानों पर यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति फ्रीज और हथियार प्रतिबंध जैसे प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करती है. यह समिति UNSC के प्रस्ताव 1988 (2011) के अंतर्गत संचालित होती है, और यह विशेष रूप से तालिबान से संबंधित मामलों पर केंद्रित है.

    अब समिति की अध्यक्षता पाकिस्तान करेगा, जबकि गुयाना और रूस को उपाध्यक्ष बनाया गया है.

    रणनीतिक विरोधाभास या कूटनीतिक अवसर?

    इस नियुक्ति को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल भी उठ रहे हैं, खासकर भारत जैसे देशों की ओर से, जो लंबे समय से यह आरोप लगाते रहे हैं कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र-नामित आतंकवादियों को पनाह देता रहा है. 2011 में ओसामा बिन लादेन का एबटाबाद में पाया जाना इस धारणा को और बल देता है.

    इसके बावजूद, विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की यह नई भूमिका उसे सार्वजनिक उत्तरदायित्व के लिए बाध्य कर सकती है. यदि इस भूमिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता दिखाई जाती है, तो यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए उपयोगी भी हो सकता है.

    आतंकवाद रोधी समिति (CTC):

    संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति, जिसे प्रस्ताव 1373 के तहत स्थापित किया गया था, वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए नीति-सुझाव, देशवार निगरानी और सहयोग का कार्य करती है. हालांकि यह समिति कानूनी दंड या प्रत्यक्ष कार्रवाई की शक्ति नहीं रखती, फिर भी यह सदस्य देशों को आतंक के विरुद्ध प्रयासों के लिए दिशा-निर्देश देती है.

    2025 में इस समिति की अध्यक्षता अल्जीरिया के पास है, जबकि पाकिस्तान, फ्रांस और रूस को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

    भारत की प्रतिक्रिया और पृष्ठभूमि

    भारत इस प्रकार की नियुक्तियों को लेकर वर्षों से यह मुद्दा उठाता रहा है कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों के प्रति कठोर कदम उठाने में विफल रहा है. भारत ने 2022 में CTC की अध्यक्षता की थी, और उस दौरान नई दिल्ली ने आतंकवाद के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति को प्रमुखता से प्रस्तुत किया था.

    पाकिस्तान की रणनीति: तालिबान से संवाद

    पाकिस्तान पिछले कुछ महीनों से तालिबान सरकार से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है, जिसमें चीन की मध्यस्थता में हुई हालिया द्विपक्षीय बातचीत प्रमुख रही है. ऐसे में तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता पाकिस्तान को मिलना एक कूटनीतिक संतुलन का परीक्षण है—क्या पाकिस्तान वैश्विक अपेक्षाओं के अनुरूप निष्पक्ष रह पाएगा, या फिर क्षेत्रीय समीकरण इसके निर्णयों को प्रभावित करेंगे?

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