पाकिस्तान की सियासत एक बार फिर उबाल पर है. इस बार चर्चाओं के केंद्र में हैं सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उनकी नजर अब राष्ट्रपति पद पर है. यह दावा वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार एजाज अहमद ने किया है, जिन्होंने अपने बयान से राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है.
मुनीर की मंशा पर शक क्यों?
पत्रकार एजाज अहमद के अनुसार, असीम मुनीर अब सिर्फ सैन्य ताकत तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि वे देश की संवैधानिक सत्ता को भी सीधा नियंत्रित करने की योजना बना रहे हैं. उनका कहना है कि राष्ट्रपति पद हासिल कर मुनीर उन संस्थानों पर भी प्रभाव जमा सकते हैं, जो अब तक सेना के दायरे से बाहर रहे हैं.
इस चर्चा के पीछे दो प्रमुख वजहें
मुशर्रफ की तरह अगला कदम?
2007 की यादें एक बार फिर ताज़ा हो रही हैं, जब तत्कालीन सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने राष्ट्रपति की कुर्सी पर कब्जा जमाया था. बाद में उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. अब लगभग 18 साल बाद, मुनीर को लेकर वैसी ही संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं.
आसिफ अली जरदारी की मौजूदा स्थिति
वर्तमान में राष्ट्रपति का पद पीपीपी नेता आसिफ अली जरदारी के पास है, जो पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के पति और पार्टी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो के पिता हैं. पीपीपी इस समय सत्ताधारी गठबंधन में पीएमएल-एन की सहयोगी है.
असीम मुनीर को लेकर विशेष बातें जो चर्चाओं को बल देती हैं
विशेष दर्जा और प्रमोशन: मुनीर को ऑपरेशन सिंदूर के बाद फील्ड मार्शल का रैंक दिया गया — जो पाकिस्तान की सेना में एक दुर्लभ सम्मान है. इतिहास में वे दूसरे ऐसे सेनाध्यक्ष हैं जिन्हें यह पद मिला. यह पदोन्नति तब की गई जब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को अपनी कुर्सी बचाने की चिंता थी.
अमेरिकी संपर्क: हाल ही में असीम मुनीर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्यक्तिगत मुलाकात की — एक ऐसा कदम जो पाकिस्तान के किसी आर्मी चीफ ने पहले कभी नहीं उठाया था. विश्लेषकों का मानना है कि यह संकेत है कि मुनीर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी राजनीतिक स्वीकार्यता मजबूत करने में लगे हैं.
पीएमएल-एन में बेचैनी, पीपीपी खामोश
एजाज अहमद की टिप्पणी ने पीएमएल-एन के भीतर हलचल मचा दी है. पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसीन नकवी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ये सब अफवाहें हैं, हमारे पास ऐसी किसी योजना की कोई जानकारी नहीं है. देश में हालात पूरी तरह सामान्य हैं.” दूसरी ओर, पीपीपी इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है. न तो बिलावल भुट्टो ने और न ही पार्टी के किसी अन्य वरिष्ठ नेता ने इस पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी की है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी फिलहाल परिस्थितियों पर निगाह बनाए हुए है.
क्या पाकिस्तान फिर एक 'मिलिट्री प्रेसिडेंसी' की ओर बढ़ रहा है?
हालिया घटनाक्रमों को देखकर विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान एक बार फिर उसी रास्ते की ओर बढ़ सकता है जहां सेना सिर्फ बैकग्राउंड ताकत नहीं बल्कि संवैधानिक सत्ता की कुर्सी पर भी काबिज हो. अब सवाल यह है कि क्या असीम मुनीर वाकई राष्ट्रपति बनने की राह पर हैं या यह सिर्फ राजनीतिक गलियारों की एक और अफवाह है. इसका जवाब आने वाले महीनों में सामने आएगा. अगर आप चाहें, तो मैं इसे SEO टाइटल, टैगलाइन और सोशल मीडिया कैप्शन के साथ भी तैयार कर सकता हूं. ब्लॉग या पोर्टल के हिसाब से. बताएं तो अगला ड्राफ्ट बना दूं.
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