लखनऊ: वृंदावन स्थित विश्वप्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. बुधवार, 13 अगस्त को मानसून सत्र के तीसरे दिन सदन ने बांके बिहारी मंदिर न्यास गठन अध्यादेश को मंजूरी दे दी. इसी के साथ बांके बिहारी कॉरिडोर ऑर्डिनेंस विधेयक भी पास हो गया. इस निर्णय का उद्देश्य न केवल मंदिर की धार्मिक परंपराओं की रक्षा करना है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं को उच्चस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना भी है.
न्यास को संपत्तियों पर पूर्ण अधिकार
अध्यादेश के प्रावधान स्पष्ट करते हैं कि मंदिर के चढ़ावे, दान और सभी चल-अचल संपत्तियों का स्वामित्व और नियंत्रण न्यास के पास होगा. इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, परिसर और उसकी प्रसीमा के भीतर दी गई भेंट, उपहार, धार्मिक अनुष्ठानों के समर्थन में दी गई संपत्ति, नकद अर्पण, बैंक ड्राफ्ट, चेक, आभूषण, हुंडी संग्रह और अनुदान जैसी सभी संपत्तियां शामिल हैं. ये सभी संसाधन मंदिर के विकास और व्यवस्थापन में उपयोग होंगे.
परंपराओं की रक्षा और प्रबंधन की जिम्मेदारी
सरकार ने साफ किया है कि न्यास का गठन स्वामी हरिदास जी की परंपरा और रीति-रिवाजों को अक्षुण्ण रखते हुए किया गया है. मंदिर में होने वाले उत्सव, अनुष्ठान और पूजा-पद्धतियां पहले की तरह बिना किसी बदलाव के जारी रहेंगी. न्यास दर्शन का समय तय करेगा, पुजारियों की नियुक्ति करेगा और उनके वेतन-भत्तों का निर्धारण करेगा. साथ ही भक्तों की सुरक्षा, कतार प्रबंधन और प्रशासनिक व्यवस्था भी न्यास की जिम्मेदारी होगी.
श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाएं
न्यास गठन का एक प्रमुख लक्ष्य भक्तों को बेहतर और आधुनिक सुविधाएं देना है. इसके तहत प्रसाद वितरण की व्यवस्थित व्यवस्था, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग, पेयजल की सुविधा, विश्राम हेतु बेंच, गौशालाएं, अन्नक्षेत्र, रसोईघर, होटल, सराय, प्रदर्शनी कक्ष, भोजनालय और प्रतीक्षालय जैसी व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी. यह सब मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी सुखद बनाएगा.
न्यास की संरचना
न्यास में कुल 18 सदस्य होंगे, जिनमें 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे. मनोनीत सदस्यों में वैष्णव परंपराओं से 3, सनातन धर्म की परंपराओं से 3, किसी भी सनातन शाखा से 3 और गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य (राज-भोग और शयन-भोग सेवादारों के प्रतिनिधि) होंगे. सभी सदस्य सनातनी हिंदू होंगे और इनका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा. पदेन सदस्यों में मथुरा के डीएम, एसएसपी, नगर निगम आयुक्त, ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओ, मंदिर ट्रस्ट के सीईओ, राज्य सरकार का प्रतिनिधि और अन्य नामित अधिकारी होंगे.
बैठकें और वित्तीय अधिकार
न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य रूप से होगी, जिसकी सूचना 15 दिन पहले देनी होगी. न्यास 20 लाख रुपये तक की चल या अचल संपत्ति स्वयं खरीद सकता है, इससे अधिक मूल्य की संपत्ति खरीदने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होगी. मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे, जो प्रशासनिक कामकाज का संचालन करेंगे.
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