अगर आप भी उन लाखों लोगों में से हैं जो हर हफ्ते या रोज़ाना स्विगी से खाना ऑर्डर करते हैं, तो अब आपके लिए यह आदत थोड़ी और महंगी पड़ने वाली है. फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी ने अपनी प्लेटफॉर्म फीस में इज़ाफा कर दिया है. पहले जहां हर ऑर्डर पर ₹12 प्लेटफॉर्म फीस लगती थी, वहीं अब यह बढ़कर ₹14 हो गई है. यानी हर ऑर्डर पर अब ग्राहकों को ₹2 ज्यादा खर्च करने होंगे.
यह बदलाव फेस्टिव सीज़न के आते ही लागू किया गया है, जब ऑर्डर्स की संख्या में काफी तेजी देखने को मिलती है. कंपनी का कहना है कि यह कदम उनके प्रति ऑर्डर प्रॉफिट को बेहतर बनाने और वित्तीय हालत को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
2023 से शुरू हुई थी प्लेटफॉर्म फीस
स्विगी ने प्लेटफॉर्म फीस का कॉन्सेप्ट अप्रैल 2023 में पेश किया था. शुरुआत में यह फीस मात्र ₹2 थी, जो धीरे-धीरे बढ़ती गई. प्लेटफॉर्म फीस को बढ़ाने का कारण था कंपनी की यूनिट इकोनॉमिक्स को सुधारना, यानी हर एक ऑर्डर से कंपनी को कितना फायदा हो रहा है.
समय के साथ जब कंपनी ने देखा कि प्लेटफॉर्म फीस बढ़ाने से ग्राहकों की संख्या पर ज्यादा असर नहीं पड़ा, तो उन्होंने इसे और बढ़ाना शुरू कर दिया. पिछले साल न्यू ईयर पर यह फीस ₹12 हो गई थी, और अब यह ₹14 तक पहुंच गई है.
छोटा इज़ाफा, लेकिन बड़ा असर
हालांकि, ₹2 का इज़ाफा ग्राहकों को ज्यादा बड़ा न लगे, लेकिन स्विगी के लिए यह रकम बहुत मायने रखती है. कंपनी हर दिन लगभग 20 लाख ऑर्डर डिलीवर करती है. ऐसे में सिर्फ ₹2 की बढ़ोतरी से भी कंपनी को हर दिन लगभग ₹2.8 करोड़ की अतिरिक्त आय हो सकती है.
इसका मतलब है कि तिमाही में ₹8.4 करोड़ और साल भर में कंपनी को करीब ₹33.6 करोड़ की अतिरिक्त कमाई हो सकती है, वो भी सिर्फ प्लेटफॉर्म फीस से. यह पैसा कंपनी को अपने ऑपरेशन्स सुधारने और घाटा कम करने में मदद करेगा.
कुछ महीनों में नुकसान की मार झेल रही है कंपनी
स्विगी का यह कदम ऐसे समय में आया है जब कंपनी को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. हाल ही में जारी की गई पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025-26) की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी का नेट लॉस 96% बढ़कर ₹1,197 करोड़ हो गया है. पिछले साल इसी तिमाही में यह घाटा ₹611 करोड़ था.
कंपनी का कहना है कि इस बढ़ते घाटे की बड़ी वजह उसका क्विक कॉमर्स डिवीजन इंस्टामार्ट है, जिसमें लगातार निवेश किया जा रहा है ताकि ग्राहकों को कम समय में ज़रूरी सामान मुहैया कराया जा सके.
रेवेन्यू में आई मजबूती, लेकिन मुनाफे से अब भी दूर
स्विगी भले ही घाटे में जा रही हो, लेकिन उसके रेवेन्यू में मजबूत बढ़ोतरी देखने को मिली है. कंपनी ने इस तिमाही में ₹4,961 करोड़ का रेवेन्यू हासिल किया, जो पिछले साल की समान तिमाही के ₹3,222 करोड़ से 54% अधिक है.
पिछली तिमाही में भी रेवेन्यू ₹4,410 करोड़ था, जिससे साफ है कि कंपनी का ग्राहक आधार बढ़ रहा है और लोग अब पहले से ज्यादा बार ऑर्डर कर रहे हैं.
जोमैटो की तुलना में कहां खड़ी है स्विगी?
स्विगी की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी जोमैटो भी लगातार अपने कारोबार को बढ़ा रही है. हालांकि, इस तिमाही में जोमैटो का मुनाफा 90% की गिरावट के साथ सिर्फ ₹25 करोड़ रहा, लेकिन कंपनी का कुल रेवेन्यू ₹7,167 करोड़ तक पहुंच गया, जो कि 70% की ग्रोथ है.
दोनों कंपनियां एक-दूसरे से बेहतर सर्विस देने की होड़ में हैं और दोनों ही फेस्टिव सीजन का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं.
ग्राहकों के लिए चिंता की बात
स्विगी ने प्लेटफॉर्म फीस को फिलहाल फेस्टिव डिमांड को ध्यान में रखते हुए बढ़ाया है. कंपनी के पिछले ट्रेंड्स को देखें, तो उन्होंने हाई डिमांड डेज़ पर अक्सर फीस बढ़ाई है, और अगर इससे ग्राहकों की संख्या पर असर नहीं पड़ता, तो यह बढ़ी हुई फीस लंबे समय तक लागू रह सकती है.
हालांकि, नॉन-फेस्टिव सीजन में कंपनी इस फीस को वापस ₹12 तक ला सकती है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है. इस अस्थिरता से ग्राहकों के बजट पर असर पड़ सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अक्सर बाहर से खाना मंगाते हैं.
ग्राहकों के लिएइसका क्या है मतलब?
स्विगी के लिए भले ही ₹2 की बढ़ोतरी लाखों-करोड़ों में तब्दील हो जाए, लेकिन ग्राहकों के लिए यह लगातार बढ़ती लागत चिंता की बात है. पहले से ही खाने की कीमतें, डिलीवरी चार्ज और टैक्स मिलाकर एक साधारण ऑर्डर भी महंगा पड़ने लगा है. ऐसे में प्लेटफॉर्म फीस का इज़ाफा ग्राहकों को सोचने पर मजबूर कर सकता है कि क्या वाकई बाहर से खाना मंगाना इतना ज़रूरी है?
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