शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद को लेकर लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद पर शिमला नगर निगम ने अंतिम फैसला सुनाया है. निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने शनिवार को मस्जिद को पूरी तरह से हटाने का आदेश जारी किया, इसे ‘अवैध निर्माण’ करार देते हुए कहा गया कि इसके निर्माण से संबंधित ज़रूरी दस्तावेज वक्फ बोर्ड या मस्जिद कमेटी की ओर से प्रस्तुत नहीं किए गए.
नगर निगम की इस कार्रवाई का आधार यह रहा कि मस्जिद की ज़मीन पर स्वामित्व के दस्तावेज, भवन की स्वीकृत योजना (मैप) और आवश्यक एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) उपलब्ध नहीं कराए गए. इसके चलते प्रशासन ने संपूर्ण ढांचे को असंगत मानते हुए हटाने के निर्देश दिए हैं.
आदेश की समीक्षा के बाद अगला कदम
मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने बताया कि उन्हें फिलहाल आदेश की आधिकारिक प्रति प्राप्त नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि दस्तावेज प्राप्त होते ही कानूनी और संवैधानिक विकल्पों की समीक्षा की जाएगी और आगे की रणनीति तय की जाएगी.
पहले से था आंशिक ध्वस्तीकरण का आदेश
मालूम हो कि नगर निगम ने पूर्व में 5 अक्टूबर 2023 को मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को तोड़ने का आदेश जारी किया था. उस आदेश के अनुरूप तोड़फोड़ की कार्रवाई जारी थी, लेकिन अब ताजा निर्देश में सम्पूर्ण ढांचे को हटाने को कहा गया है. निगम ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारी होगी.
स्थानीय निवासियों की याचिका
संजौली मस्जिद को लेकर यह मामला बीते 15 वर्षों से निगम की अदालत में लंबित था. इस दौरान 50 से अधिक बार सुनवाई हो चुकी है. वर्ष 2023 में स्थानीय निवासियों ने हिमाचल हाईकोर्ट का रुख करते हुए इस मामले में शीघ्र निर्णय की मांग की थी. हाईकोर्ट ने नगर निगम को 8 सप्ताह के भीतर निर्णय सुनाने के निर्देश दिए थे. उसके अनुपालन में आज निगम ने अंतिम आदेश जारी कर दिया.
संवेदनशीलता की ज़रूरत
यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी संवेदनशील रहा है. वर्ष 2024 में हुई एक स्थानीय झड़प के बाद यह स्थान चर्चा में आया था, जब आरोप लगा कि झगड़े के दौरान कुछ लोग मस्जिद परिसर में जाकर छिपे थे. इसके बाद यहां विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.
इन घटनाओं ने समुदायों के बीच तनाव की आशंका को जन्म दिया, हालांकि प्रशासन ने हालात को नियंत्रित करने के लिए समय रहते कदम उठाए.
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