भोपाल के एक आम ग्राहक की छोटी सी लड़ाई ने उपभोक्ता अधिकारों को लेकर बड़ी मिसाल पेश की है. एक रुपये की ‘अवैध वसूली’ के खिलाफ खड़े हुए इस ग्राहक को आखिरकार उपभोक्ता फोरम से न्याय मिला — और होटल को कीमत चुकानी पड़ी 8,001 रुपये की.
यह घटना बताती है कि हर उपभोक्ता की आवाज़ मायने रखती है, चाहे मामला एक रुपये का ही क्यों न हो. भोपाल निवासी ऐश्वर्य निगम ने जब होटल द्वारा बोतल पर ज़बरन जीएसटी वसूलने का विरोध किया, तो उन्हें झिड़क दिया गया. लेकिन उन्होंने चुप रहने के बजाय कंज्यूमर फोरम का दरवाज़ा खटखटाया और चार साल बाद उन्हें जीत हासिल हुई.
क्या था मामला?
यह घटना अक्टूबर 2021 की है. भोपाल के मिसरोद इलाके में स्थित मोती महल डीलक्स होटल में ऐश्वर्य निगम अपने मित्र के साथ खाना खाने गए थे. बिल बना 796 रुपये का, जिसमें बिसलेरी की एक बोतल के लिए 29 रुपये वसूले गए — जबकि बोतल पर छपी MRP सिर्फ 20 रुपये थी. इसके ऊपर होटल ने 2.5% जीएसटी के रूप में लगभग 1 रुपये और जोड़ दिया. जब ग्राहक ने इसपर आपत्ति जताई, तो होटल स्टाफ ने न केवल गिलास देने से इनकार किया बल्कि बहस पर उतर आए.
उपभोक्ता फोरम का फैसला
चार साल की कानूनी प्रक्रिया के बाद उपभोक्ता आयोग ने साफ कहा कि MRP में पहले से ही जीएसटी शामिल होता है, ऐसे में अलग से GST वसूलना पूरी तरह गलत है. होटल को वह 1 रुपये ग्राहक को लौटाना होगा. मानसिक पीड़ा और सेवा की कमी के एवज़ में 5,000 रुपये का मुआवजा देना होगा. इसके अलावा कानूनी खर्च के लिए 3,000 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे यानी होटल को कुल 8,001 रुपये दो महीने के अंदर ग्राहक को देना होगा.
होटल का तर्क खारिज
होटल ने दावा किया कि मेन्यू कार्ड में कीमत और टैक्स दोनों का ज़िक्र था, और ग्राहक को AC, म्यूज़िक जैसी सुविधाएं भी दी गईं. लेकिन फोरम ने यह तर्क यह कहते हुए ठुकरा दिया कि बोतलबंद पानी पर MRP से ज़्यादा मूल्य लेना और अतिरिक्त टैक्स लगाना नियमों का उल्लंघन है.
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