NSA अजीत डोभाल ने ईरान के सिक्योरिटी चीफ से की बातचीत, चाबहार पोर्ट और INSTC को लेकर हुई चर्चा

    भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सचिव डॉ. अली अकबर अहमदियान के बीच रविवार को हुई महत्वपूर्ण बातचीत इसी दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है. इस बैठक में चाबहार पोर्ट और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) जैसे प्रोजेक्ट्स चर्चा के केंद्र में रहे, जो आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक व्यापार व्यवस्था में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं.

    NSA Ajit Doval spoke to Iran s security chief Chabahar Port INSTC
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    दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के भू-राजनीतिक मानचित्र पर एक नया समीकरण आकार ले रहा है. भारत और ईरान दो प्राचीन सभ्यताएं और आधुनिक रणनीतिक साझेदार अब आपसी सहयोग को एक नए आयाम पर ले जाने को तैयार हैं. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सचिव डॉ. अली अकबर अहमदियान के बीच रविवार को हुई महत्वपूर्ण बातचीत इसी दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है. इस बैठक में चाबहार पोर्ट और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) जैसे प्रोजेक्ट्स चर्चा के केंद्र में रहे, जो आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक व्यापार व्यवस्था में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं.

    ऐतिहासिक रिश्तों को नई दिशा

    भारत और ईरान का रिश्ता सिर्फ कूटनीतिक नहीं, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी बेहद गहरा है. दोनों देशों की सभ्यताएं हजारों वर्षों से एक-दूसरे से जुड़ी रही हैं. अब इसी साझे इतिहास को आधुनिक रणनीतिक भागीदारी में बदला जा रहा है. NSA डोभाल ने इस संवाद के दौरान न केवल आपसी विश्वास की बात की, बल्कि साझा हितों पर आधारित स्थायी सहयोग का विजन भी सामने रखा.

    चाबहार पोर्ट: भारत के लिए रणनीतिक द्वार

    ईरान के चाबहार पोर्ट को भारत अपनी रणनीतिक पहुंच के लिए बेहद अहम मानता है. यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंचने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी विकल्प देता है. पाकिस्तान को बायपास कर यह पोर्ट भारत को वह सामरिक बढ़त दिला सकता है, जिसकी उसे लंबे समय से आवश्यकता थी. डोभाल ने इस परियोजना में ईरान के सहयोग की सराहना की और इसे तेजी से क्रियान्वित करने की अपील की.

    INSTC: व्यापार का सुपरहाइवे

    INSTC यानी इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, भारत को रूस और यूरोप तक एक वैकल्पिक और सस्ता मार्ग प्रदान करता है. यह गलियारा भारत के लिए न केवल व्यापार को गति देने वाला है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में उसकी हिस्सेदारी को भी मजबूत करेगा. डॉ. अहमदियान का यह बयान कि “ऐसे रणनीतिक प्रोजेक्ट क्षेत्रीय सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे,” भारत-ईरान साझेदारी की गंभीरता को दर्शाता है.

    सांस्कृतिक विरासत और क्षेत्रीय स्थिरता का मेल

    इस बातचीत में सिर्फ रणनीति और व्यापार ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक साझेदारी और क्षेत्रीय स्थिरता की बात भी उठी. दोनों देशों ने माना कि उनका सहयोग न केवल आपसी लाभ के लिए जरूरी है, बल्कि यह पूरे दक्षिण और मध्य एशियाई क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में भी अहम भूमिका निभा सकता है.

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