क्या पाकिस्तान अब चीन लेकर पहुंचेगा अपना भीख वाला कटोरा? ड्रैग्न के पैरों में गिड़गिड़ाने की तैयारी कर रहा आतंक का आका

    भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी निर्णायक कार्रवाई और पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अब पूरी तरह से राजनयिक बैकफुट पर है. ताजा घटनाक्रम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार का तीन दिवसीय चीन दौरा (19–21 मई 2025) यह साफ करता है कि पाकिस्तान अब अपने 'ऑल वेदर फ्रेंड' चीन की शरण में है.

    Ishaq Dar visit China after Operation Sindoor
    Image Source: Social Media

    Ishaq Dar visit China: भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी निर्णायक कार्रवाई और पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अब पूरी तरह से राजनयिक बैकफुट पर है. ताजा घटनाक्रम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार का तीन दिवसीय चीन दौरा (19–21 मई 2025) यह साफ करता है कि पाकिस्तान अब अपने 'ऑल वेदर फ्रेंड' चीन की शरण में है. इस दौरे को लेकर एक बात तो तय है ये दौरा पाकिस्तान की हताशा की कहानी कहता है, लेकिन साथ ही चीन-पाक रणनीतिक गठजोड़ की एक नई तस्वीर भी सामने ला रहा है.

    भारत का जवाब और पाकिस्तान की बेचैनी

    पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इसके जवाब में भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाते हुए कड़ा संदेश दिया. भारत ने दो टूक कहा, "आतंक की जमीन से जवाब आएगा, तो हर बार जवाब मुंहतोड़ होगा." पाकिस्तान अब इस सैन्य दबाव और वैश्विक आलोचना के बीच चीन के कंधे पर बंदूक रखकर कूटनीतिक चाल चलने की कोशिश कर रहा है.

    डार का बीजिंग दौरा, मकसद क्या है?

    इशाक डार चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात कर भारत के साथ बढ़ते तनाव पर चर्चा करेंगे. साथ में उम्मीद यही है कि चीन न सिर्फ राजनयिक मंचों पर पाकिस्तान के लिए पैरवी करेगा, बल्कि आर्थिक और सैन्य समर्थन भी सुनिश्चित करेगा. स्रोतों के मुताबिक इस यात्रा का मुख्य एजेंडा भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना है और CPEC परियोजनाओं की सुरक्षा है. इसके अलावा भारत के साथ तनाव में चीन की भूमिका सुनिश्चित करना भी इस दौरे का मुख्य उद्देश्य है. 

    CPEC और आर्थिक मदद की उम्मीद

    पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली किसी से छुपी नहीं है. IMF की शर्तों, महंगाई और बेरोजगारी के बीच CPEC उसकी सबसे बड़ी उम्मीद है. चीन से इस दौरे में नई आर्थिक सहायता  CPEC सुरक्षा की गारंटी और अधूरे प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग मिलने की उम्मीद की जा रही है. वहीं चीन की तरफ से भी यह उम्मीद है कि पाकिस्तान ‘रणनीतिक चुप्पी’ के बजाय चीन के हितों के लिए खुलकर खड़ा होगा.

    क्या चीन बनेगा सियासी हथियार?

    भारत की तरफ से की गई सर्जिकल स्ट्राइक्स और कूटनीतिक रणनीति के बाद पाकिस्तान खुद को अलग-थलग महसूस कर रहा है. अब देखना ये है कि क्या चीन इस मौके को भारत के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल करेगा? या फिर वास्तव में पाकिस्तान को डूबने से बचाने के लिए आर्थिक और राजनयिक मरहम लगाएगा?

    ये भी पढ़ें: भारत ने बांग्लादेश को क्यों रगड़ा? इन सामानों पर बैन लगाकर दिया बड़ा झटका, जानिए वजह