अब विदेशी भी सऊदी अरब में खरीद सकेंगे प्रोपर्टी, मक्का-मदीना के लिए क्या है नियम? जानें नया कानून

    सऊदी अरब ने रियल एस्टेट सेक्टर में एक ऐतिहासिक नीतिगत बदलाव की घोषणा की है.

    Now foreigners can also buy property in Saudi Arabia
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    रियाद: सऊदी अरब ने रियल एस्टेट सेक्टर में एक ऐतिहासिक नीतिगत बदलाव की घोषणा की है. अब गैर-सऊदी नागरिकों और विदेशी कंपनियों को देश के कुछ क्षेत्रों में अचल संपत्ति (प्रॉपर्टी) खरीदने की अनुमति दी जाएगी — एक ऐसा कदम जिसे व्यापक आर्थिक सुधारों और निवेश आकर्षण की दिशा में बड़ा मोड़ माना जा रहा है. हालांकि, इस बदलाव में इस्लाम के दो पवित्र नगर — मक्का और मदीना — को विशिष्ट रूप से अलग रखा गया है.

    विदेशी निवेशकों के लिए खुल रहे नए दरवाज़े

    सऊदी गजट और गल्फ न्यूज की रिपोर्टों के अनुसार, नया कानून विदेशी नागरिकों, विदेशी शेयरधारकों वाली कंपनियों और गैर-लाभकारी संस्थाओं को अचल संपत्ति के स्वामित्व और उपयोग का अधिकार देता है. यह नियम केवल निवास के लिए नहीं, बल्कि वाणिज्यिक और अन्य निवेश उद्देश्यों के लिए भी लागू होंगे.

    सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है: निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना, विदेशी पूंजी प्रवाह को सशक्त बनाना और विजन 2030 के अंतर्गत राष्ट्रीय आर्थिक विविधीकरण को गति देना.

    मक्का और मदीना: धार्मिक संवेदनशीलता बरकरार

    हालांकि नियमों में व्यापक उदारीकरण किया गया है, लेकिन इस्लाम के दो पवित्र शहर — मक्का और मदीना — को इस कानून के दायरे से आंशिक रूप से बाहर रखा गया है.

    इन दोनों शहरों में अब भी विदेशी गैर-मुस्लिमों के लिए संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है. हालांकि, खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council - GCC) के नागरिकों को इन शहरों में संपत्ति स्वामित्व की अनुमति दी गई है — यह दर्शाता है कि इस्लामी पहचान और धार्मिक श्रद्धा के साथ-साथ क्षेत्रीय एकता को भी प्राथमिकता दी जा रही है.

    कानूनी ढांचे में व्यापक बदलाव

    यह नया कानून 2000 में जारी शाही आदेश M/15 को निरस्त करता है, जो अब तक विदेशी स्वामित्व को नियंत्रित करता था. यह दर्शाता है कि सऊदी सरकार अचल संपत्ति और पूंजी निवेश से जुड़े नीतिगत ढांचे को समकालीन वैश्विक अर्थव्यवस्था के अनुरूप ढालने की दिशा में अग्रसर है.

    इसके अंतर्गत:

    • रियल एस्टेट प्राधिकरण और मंत्रिपरिषद संयुक्त रूप से उन क्षेत्रों को परिभाषित करेंगे जहां विदेशी स्वामित्व मान्य होगा.
    • स्वामित्व सीमा, उपयोग का समय, और क्षेत्र विशेष को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए जाएंगे.
    • राष्ट्रीय अचल संपत्ति रजिस्ट्री में पंजीकरण अनिवार्य होगा, जिसके बिना कोई भी स्वामित्व कानूनी नहीं माना जाएगा.

    विदेशी निवासियों के लिए क्या बदलेगा?

    जो विदेशी नागरिक कानूनी रूप से सऊदी अरब में रह रहे हैं, उन्हें अब देश के निश्चित क्षेत्रों में व्यक्तिगत उपयोग के लिए रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने की अनुमति होगी — बशर्ते वह संपत्तियाँ प्रतिबंधित क्षेत्रों में न आती हों. इसका अर्थ यह है कि रियाद, जेद्दाह और दमाम जैसे शहरों में अब विदेशी निवासी कानूनी रूप से घर खरीद सकते हैं.

    इसके अलावा, विदेशी शेयरधारकों वाली कंपनियों को अब वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रयोजनों के लिए अचल संपत्ति रखने की अनुमति दी गई है, जो कि व्यापार विस्तार के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है.

    शुल्क और दंड की व्यवस्था

    नई नीति के तहत संपत्ति लेन-देन पर 5% तक का रियल एस्टेट ट्रांसफर टैक्स लागू किया गया है. यह स्पष्ट करता है कि सरकार न केवल निवेश को आकर्षित करना चाहती है, बल्कि रेवेन्यू जनरेशन के लिए संरचित दृष्टिकोण भी अपनाना चाहती है.

    साथ ही, यदि कोई विदेशी निवेशक कानून का उल्लंघन करता है — जैसे गलत जानकारी देकर प्रॉपर्टी खरीदना — तो उस पर 10 मिलियन सऊदी रियाल (लगभग 22 करोड़ रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. गंभीर मामलों में संपत्ति की जब्ती और राज्य के खाते में ट्रांसफर का भी प्रावधान है. इन सभी मामलों की निगरानी और प्रवर्तन रियल एस्टेट जनरल अथॉरिटी की विशेष समिति द्वारा की जाएगी.

    व्यापक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

    इस कानूनी परिवर्तन का असर केवल अचल संपत्ति क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा. यह निम्नलिखित क्षेत्रों में परिवर्तन की संभावना को जन्म देता है:

    निवेश प्रवाह में वृद्धि: विदेशी पूंजी निवेश के नए मार्ग खुलेंगे, जिससे सऊदी अर्थव्यवस्था में गतिशीलता आएगी.

    शहरी विकास और आवास सेक्टर में उन्नति: रियल एस्टेट में प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता बढ़ेगी, जिससे शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा.

    सांस्कृतिक संतुलन की चुनौती: मक्का और मदीना जैसे शहरों के विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण वहां किसी भी ढील की संभावना को लेकर भावनात्मक और वैचारिक बहस चल सकती है.

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