पटना: बिहार सरकार ने पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) में सुधार लाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार ने एक व्यापक वेरिफिकेशन ड्राइव की शुरुआत की है, जिसके तहत राशन कार्ड से अयोग्य लाभार्थियों को बाहर किया जाएगा. इस ड्राइव का पहला चरण शुरू हो चुका है, और इसके तहत 54.20 लाख से अधिक राशन कार्डधारियों के नाम हटाए जाने की संभावना है. इस प्रक्रिया ने तब जोर पकड़ा, जब सरकार ने राशन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया और कई सरकारी विभागों में गड़बड़ियों का खुलासा हुआ.
वेरिफिकेशन ड्राइव का उद्देश्य और दायरा
वेरिफिकेशन ड्राइव का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल उन लोगों को राशन का लाभ मिले जो वास्तव में इसके हकदार हैं. सरकार ने इस ड्राइव में व्यापक जांच की योजना बनाई है, जिसके तहत नाम हटाने के लिए उन लाभार्थियों की पहचान की जाएगी, जिनके पास राशन लेने का कोई कानूनी आधार नहीं है. पहले चरण में बिहार के विभिन्न जिलों में वेरिफिकेशन शुरू कर दिया गया है, और इसमें खासतौर पर उन लाभार्थियों को चिन्हित किया जाएगा, जिनके पास आधार से जुड़ी गलत या अयोग्य जानकारी है.
राज्य के विभिन्न जिलों से रिपोर्ट
बिहार के प्रमुख जिलों में वेरिफिकेशन प्रक्रिया में तेजी आई है. सीतामढ़ी जिले से करीब 99,000 नाम हटाने के लिए पहचाने गए हैं, वहीं मुजफ्फरपुर और पूर्वी चंपारण जिलों में भी क्रमशः 2.34 लाख और 1.5 लाख नाम हटाए जाने के लिए चिन्हित किए गए हैं. इन तीनों जिलों की डिटेल रिपोर्ट पहले ही जमा कर दी गई है. पटना जिले में, जहां 10.33 लाख एक्टिव राशन कार्ड हैं, वहां भी वेरिफिकेशन प्रक्रिया चल रही है. अधिकारियों का मानना है कि गलत या अयोग्य डॉक्यूमेंटेशन के कारण करीब 65,000 से 70,000 राशन कार्ड धारकों के नाम हटाए जा सकते हैं.
गलत जानकारी का खुलासा कैसे हुआ?
इस वेरिफिकेशन प्रक्रिया का मुख्य आधार विभिन्न सरकारी डेटाबेसों के आपसी मेलजोल पर है. सप्लाई डिपार्टमेंट ने राशन कार्ड डेटा को रेवेन्यू और लैंड रिफॉर्म्स डिपार्टमेंट, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और सिविल रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड से मिलाया. इस जांच के दौरान यह पाया गया कि कई लाभार्थियों के पास 2.5 एकड़ से ज्यादा ज़मीन है, कुछ के पास चार पहियों वाली गाड़ी है, और कई लोग तो इनकम टैक्स भी भरते हैं. इसके अलावा, कुछ लाभार्थी मृत हो चुके थे, लेकिन फिर भी राशन कार्ड के रिकॉर्ड में उनके नाम मौजूद थे.
आगे की प्रक्रिया और नोटिस
इस वेरिफिकेशन प्रक्रिया के बाद, जिन लोगों के खिलाफ गलत जानकारी का पता चलेगा, उन्हें नोटिस जारी किया जाएगा. उन्हें अपने दस्तावेजों की प्रमाणिकता साबित करने के लिए 90 दिनों का समय मिलेगा. अगर किसी लाभार्थी की जानकारी गलत पाई जाती है और वह अयोग्य ठहरता है, तो उसका नाम राशन कार्ड सूची से हटा दिया जाएगा. यह कदम सरकार ने 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना के तहत लिया है, जिसके तहत सभी राज्यों से अपडेटेड डेटा की मांग की गई थी.
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