'मॉस्को में नहीं मिलूंगा, आप कीव आ जाइए', पुतिन ने जेलेंस्की को दिया ऑफर

    युद्ध के लंबे खिंचाव के बाद जब रूस की ओर से यूक्रेन को वार्ता का निमंत्रण आया, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उम्मीद जगी कि शायद अब इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की कोई राह निकलेगी.

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    युद्ध के लंबे खिंचाव के बाद जब रूस की ओर से यूक्रेन को वार्ता का निमंत्रण आया, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उम्मीद जगी कि शायद अब इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की कोई राह निकलेगी. लेकिन यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इसे राजनीतिक छल करार देते हुए साफ मना कर दिया है कि वे मॉस्को नहीं जाएंगे.

    जेलेंस्की का कहना है कि जब उनके देश पर हर दिन मिसाइलें बरसाई जा रही हैं, तो ऐसे माहौल में बातचीत की बात करना ही बेमानी है. उनकी शर्त साफ है. अगर रूस शांति चाहता है, तो सबसे पहले हमले रोके.

    ‘मैं आतंक के गढ़ में नहीं जाऊंगा’: जेलेंस्की

    हाल ही में अमेरिकी समाचार चैनल एबीसी न्यूज़ को दिए गए एक इंटरव्यू में जेलेंस्की ने पुतिन के न्यौते को नकारते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा “मैं उस राजधानी में कैसे जा सकता हूं जहां से हर दिन हमारे नागरिकों पर हमले किए जा रहे हैं? मॉस्को मेरे लिए शांति का नहीं, आतंक का प्रतीक है.” ये इंटरव्यू यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्र में हुआ, जहां कुछ ही दिनों पहले एक अमेरिकी कंपनी के स्वामित्व वाली फैक्ट्री पर रूसी मिसाइलों से हमला हुआ था. जेलेंस्की ने घटनास्थल का दौरा करते हुए दोहराया कि ऐसे हमले दर्शाते हैं कि पुतिन की मंशा शांति की नहीं, बल्कि समय खींचने की है.

    पुतिन की पेशकश और जेलेंस्की की शर्त

    रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस सप्ताह कहा कि उन्हें जेलेंस्की से मिलने में कोई आपत्ति नहीं है, और अगर वह मॉस्को आते हैं तो बैठक जरूर होगी. हालांकि, जेलेंस्की ने इसे सीधे नकारते हुए कहा कि “असल बातचीत तब ही संभव होगी जब रूस युद्धविराम की पहल करे.”

    ट्रंप की मध्यस्थता की महत्वाकांक्षा

    डोनाल्ड ट्रंप, जो दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने की दौड़ में हैं, खुद को इस टकराव में ‘शांति दूत’ के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं. उन्होंने अगस्त में फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा था कि वह पुतिन और जेलेंस्की दोनों को एक कमरे में बिठाना चाहते हैं. यहां तक कि अलास्का में पुतिन से हुई मुलाकात में ट्रंप ने त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन का प्रस्ताव भी दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि शायद पहले द्विपक्षीय बातचीत जरूरी होगी.

    यूरोप की स्थिति: ‘सीधी मुलाकात असंभव’

    जहां ट्रंप मध्यस्थता का ख्वाब देख रहे हैं, वहीं यूरोप अधिक व्यावहारिक रुख अपना रहा है. जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने स्पष्ट रूप से कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए पुतिन और जेलेंस्की की आमने-सामने की बैठक लगभग असंभव है.

    ‘दुनिया तैयार है, लेकिन पुतिन गंभीर नहीं हैं’

    जेलेंस्की ने कहा कि कई देश — जैसे स्विट्जरलैंड, तुर्की, वेटिकन और खाड़ी क्षेत्र के राष्ट्र  वार्ता के लिए मंच तैयार करने को इच्छुक हैं. लेकिन उन्होंने जोर दिया कि अगर युद्ध जारी रहते हुए वार्ता का प्रस्ताव दिया जाता है, तो वह केवल दिखावा है. “अगर कोई नेता संघर्ष के बीच इस तरह का निमंत्रण देता है जिसे स्वीकार ही नहीं किया जा सकता, तो उसकी मंशा वार्ता नहीं बल्कि समय बर्बाद करना होती है.”

    यूक्रेन के विदेश मंत्री का समर्थन

    यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रिय सिबिहा ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि “दुनिया बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन रूस की ज़िद पूरे प्रयासों को ठप कर रही है.” उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन हर संभावित फॉर्मेट में वार्ता को लेकर लचीला रहा है.

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