मैक 8 की रफ्तार, 1,500 किलोमीटर दूर तक हमले की क्षमता... भारत ने बनाई ऐसी मिसाइल, S-500 भी हो जाएगा फेल

    जब दुनिया रूस, अमेरिका और चीन की हाइपरसोनिक दौड़ में उलझी थी, भारत ने चुपचाप अपनी सबसे घातक मिसाइल तैयार कर ली- ET-LDHCM.

    Mach 8 speed India made missile S500 will fail
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    नई दिल्लीः जब दुनिया रूस, अमेरिका और चीन की हाइपरसोनिक दौड़ में उलझी थी, भारत ने चुपचाप अपनी सबसे घातक मिसाइल तैयार कर ली—ET-LDHCM. इसे कहते हैं गेमचेंजर. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इसे ‘एक्सटेंडेड ट्रैजेक्टरी लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल’ नाम दिया है. इसकी रफ्तार, रेंज और पैंठ इतनी खतरनाक है कि ब्रह्मोस, अग्नि और आकाश जैसे पुराने सिस्टम अब इसके सामने पुराने ज़माने की बात लगते हैं. इसकी रफ्तार है MAC-8, यानी आवाज़ से आठ गुना तेज़. और रेंज? सीधे 1500 किलोमीटर. यानी पाकिस्तान तो बहुत पीछे छूट गया और अब निशाना इंडो-पैसिफिक में चीन है.

    प्रोजेक्ट विष्णु: भारत की रणनीतिक चुप्पी का विस्फोटक जवाब

    DRDO ने इसे अपने ‘प्रोजेक्ट विष्णु’ के तहत विकसित किया है, जो भारत की सबसे महत्वाकांक्षी हाइपरसोनिक योजना है. इस प्रोजेक्ट के तहत 12 अलग-अलग हाइपरसोनिक हथियार विकसित किए जा रहे हैं. इनमें हमलावर और इंटरसेप्टर दोनों तरह की मिसाइलें शामिल हैं. ET-LDHCM उसी का पहला और सबसे उन्नत संस्करण है- पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से तैयार.

    ब्रह्मोस से कितनी आगे है ये?

    • ब्रह्मोस की गति है Mach 3 (लगभग 3700 किमी/घंटा),
    • ET-LDHCM की गति है Mach 8 (लगभग 9900 किमी/घंटा).
    • ब्रह्मोस की रेंज 450 किमी,
    • जबकि ET-LDHCM की रेंज सीधे 1500 किलोमीटर.

    ब्रह्मोस को पीछे छोड़ते हुए यह मिसाइल न सिर्फ दुश्मन के ठिकानों को तबाह करेगी, बल्कि उसके एयर डिफेंस सिस्टम को भी धोखा दे देगी.

    क्यों खास है ये मिसाइल?

    ET-LDHCM सिर्फ तेज़ नहीं है, यह बेहद चतुर भी है. इसका स्क्रैमजेट इंजन हवा से ऑक्सीजन खींचकर उड़ान भरता है, जिससे इसे भारी ईंधन की ज़रूरत नहीं होती. यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है और उड़ान के बीच दिशा बदल सकती है, जिससे इसे ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता है.

    1000 से 2000 किलोग्राम तक के परमाणु या पारंपरिक हथियार ढो सकती है

    • 2000°C तक के तापमान में भी स्थिर रहती है
    • जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च की जा सकती है
    • दुश्मन के बंकर, रडार, एयरबेस और नौसैनिक जहाज—सब कुछ टारगेट में

    ड्रैगन और फौलादी जूते की काट

    ये मिसाइल उस वक्त आई है जब भारत चारों ओर से रणनीतिक चुनौतियों में घिरा है-

    • इजराइल-ईरान संघर्ष
    • रूस-यूक्रेन युद्ध
    • पाकिस्तान-चीन-तुर्की की तिकड़ी
    • इंडो-पैसिफिक में चीनी घुसपैठ

    इन हालातों में ET-LDHCM भारत का वो तुरुप का इक्का है, जो दुश्मन की चाल से पहले ही उसे मात दे सकता है.

    हाइपरसोनिक क्लब में भारत की एंट्री

    ET-LDHCM के सफल परीक्षण ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे गिने-चुने देशों की कतार में खड़ा कर दिया है, जिनके पास खुद की हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी है. खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में भारतीय MSMEs और निजी कंपनियों का भी बड़ा योगदान है—यानि टेक्नोलॉजी के साथ-साथ भारत में रक्षा उत्पादन और रोजगार भी बढ़ेगा.

    सिर्फ मिसाइल नहीं, एक चेतावनी

    रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ET-LDHCM न सिर्फ भारत की स्ट्राइक कैपेसिटी बढ़ाएगा, बल्कि यह इंडो-पैसिफिक पावर बैलेंस को भी झकझोर देगा. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मौजूदा रक्षा कवच जैसे रूस का S-500 या इजराइल का आयरन डोम तक चकमा देने में सक्षम है.

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