नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर संघर्षविराम को लेकर पिछले कुछ दिनों से तमाम तरह की अटकलें चल रही थीं. पाकिस्तानी उप प्रधानमंत्री इशाक डार के एक बयान के बाद ये सवाल और गहरे हो गए कि क्या 18 मई के बाद सीजफायर खत्म हो जाएगा? क्या भारत फिर से ऑपरेशन सिंदूर के अगले चरण की तैयारी में है?
अब इन तमाम अटकलों पर भारतीय सेना ने स्थिति स्पष्ट की है. सेना की ओर से कहा गया है कि आज यानी 18 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की DGMO स्तर की बातचीत तय नहीं है. साथ ही, सेना ने यह भी साफ कर दिया कि पिछली DGMO बातचीत में युद्धविराम की कोई अंतिम तिथि तय नहीं की गई थी. यानी फिलहाल संघर्षविराम जारी है और इसे खत्म करने की कोई औपचारिक समयसीमा नहीं है.
पाकिस्तान के बयान ने फैलाई थी भ्रम की स्थिति
दरअसल, पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने कुछ दिन पहले सीनेट में दावा किया था कि 10, 12 और 14 मई को भारत-पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के बीच हॉटलाइन पर बातचीत हुई थी. डार के अनुसार, 14 मई की बातचीत में संघर्षविराम को 18 मई तक बढ़ाने पर सहमति बनी थी. उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर कठोर कदम उठाए, तो पाकिस्तान इसे “युद्ध की कार्रवाई” मानेगा.
भारतीय सेना का दो टूक जवाब
सेना के बयान ने अब इन दावों की हवा निकाल दी है. सेना ने साफ कहा है कि सीजफायर पर कोई एक्सपायरी डेट तय नहीं हुई है, और 18 मई के बाद किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई की कोई आधिकारिक योजना भी फिलहाल सामने नहीं आई है.
हालांकि यह ज़रूर है कि भारतीय नेतृत्व—चाहे वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह—लगातार यह संकेत दे चुके हैं कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, बल्कि यह सिर्फ एक ट्रेलर था. ऐसे में पाकिस्तान में बेचैनी स्वाभाविक है.
अंदरूनी संकट से जूझ रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान की ओर से सीजफायर को बढ़ाने का आग्रह उसकी डगमगाती घरेलू स्थिति और अंतरराष्ट्रीय दबाव की देन माना जा रहा है. देश की आर्थिक हालत खराब है, सेना और सरकार के रिश्ते तनावपूर्ण हैं, और आतंकवाद पर वैश्विक स्तर पर उसकी किरकिरी हो रही है. ऐसे में पाकिस्तान फिलहाल भारत के साथ खुली जंग मोल लेने की स्थिति में नहीं है.
क्या आगे कुछ बड़ा हो सकता है?
फिलहाल भले ही संघर्षविराम जारी है, लेकिन हालात बेहद संवेदनशील बने हुए हैं. पाकिस्तान में डर का माहौल है, सेना अपने मुख्यालय को शिफ्ट कर रही है, और आतंकी नेटवर्क सतह के नीचे जाने लगे हैं. इन संकेतों से यह समझा जा सकता है कि भारत अपनी रणनीतिक चुप्पी के साथ कुछ बड़ा सोच रहा है—लेकिन कब और कैसे, इसका जवाब शायद वक्त ही देगा.
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