भारत का ‘भार्गवास्त्र’, महाभारत के बाद अब कलयुग में भी बनेगा पाक-चीन के लिए मुसीबत; ऐसे करेगा ड्रोन का मुकाबला

    ओडिशा के गोपालपुर में 13 मई को किए गए परीक्षण के दौरान भारत ने स्वदेशी काउंटर-ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण किया.

    India Bhargavastra Mahabharata fight against drones
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    नई दिल्लीः भारत ने आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की दिशा में एक और अहम कदम उठाया है. ओडिशा के गोपालपुर में 13 मई को किए गए परीक्षण के दौरान भारत ने स्वदेशी काउंटर-ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ऐसे समय हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है और हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत जवाबी कार्रवाई शुरू की है.

    भार्गवास्त्र एक एडवांस माइक्रो-रॉकेट तकनीक पर आधारित प्रणाली है, जिसे खासतौर पर ड्रोन हमलों से निपटने के लिए तैयार किया गया है. यह सिस्टम भारत की रक्षा जरूरतों के साथ-साथ मेक इन इंडिया मिशन का भी एक सशक्त उदाहरण है.

    क्या है भार्गवास्त्र?

    'भार्गवास्त्र' नाम सुनते ही महाभारत की याद आना स्वाभाविक है. पौराणिक ग्रंथों में वर्णित यह अस्त्र परशुराम द्वारा कर्ण को दिया गया था और युद्धभूमि में इसकी क्षमता अत्यंत विनाशकारी मानी जाती थी. आज उसी ऐतिहासिक प्रतीक को आधुनिक सैन्य तकनीक के रूप में फिर से परिभाषित किया गया है.

    भार्गवास्त्र को सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने डिजाइन और विकसित किया है. यह प्रणाली 2.5 किलोमीटर की दूरी तक ड्रोन को ट्रैक कर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है. इस तकनीक का उपयोग करते हुए चार माइक्रो रॉकेट का परीक्षण किया गया, जिनमें से दो एक-एक कर और दो रॉकेट दो सेकंड के अंतराल में दागे गए. सभी परीक्षण सफल रहे.

    भार्गवास्त्र की विशेषताएं

    • ड्रोन का सफाया: भार्गवास्त्र 20 मीटर की मारक परिधि में ड्रोन के झुंड को निष्क्रिय करने में सक्षम है.
    • डायरेक्टेड माइक्रो-मिसाइल: यह प्रणाली 64 माइक्रो-मिसाइलों को एक साथ लॉन्च कर सकती है, जो अत्यधिक सटीकता से लक्ष्य को भेदती हैं.
    • रडार रेंज: इसके रडार की क्षमता 6 से 10 किलोमीटर तक की है, जो कम ऊंचाई पर उड़ने वाले खतरों को भी पहचान सकता है.
    • मॉड्यूलर डिज़ाइन: सिस्टम को जरूरत के अनुसार कस्टमाइज़ किया जा सकता है, जिससे विभिन्न भू-भागों पर प्रभावी रक्षा कवच तैयार किया जा सके.
    • ईओ/आईआर सेंसर: इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड सेंसर से यह सिस्टम कम रडार क्रॉस-सेक्शन वाले टारगेट्स की भी सटीक पहचान करता है.

    सामरिक दृष्टि से इसका महत्व

    SDAL के अनुसार यह तकनीक मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) से निपटने में गेम-चेंजर साबित हो सकती है. इसे मौजूदा नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध प्रणालियों में आसानी से एकीकृत किया जा सकता है. यह प्रणाली 5,000 मीटर की ऊंचाई तक और समुद्र तल से सटीकता के साथ काम कर सकती है.

    हाल ही में पाकिस्तान द्वारा पश्चिमी सीमा पर तुर्की के बने 300 से 400 सोंगर ड्रोन भेजे गए थे. हालांकि भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने इन खतरों को नाकाम कर दिया, लेकिन ऐसे उभरते खतरे भविष्य में और अधिक व्यापक हो सकते हैं. ऐसे में भार्गवास्त्र जैसे हथियार भारत को भविष्य के युद्धों के लिए और अधिक तैयार बनाएंगे.

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