ट्रंप और रूस की जुबानी जंग में डेड हैंड की हुई एंट्री, मेदवेदेव ने अमेरिकी राष्ट्रपति को दी चेतावनी

    हाल ही में रूस के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दो टूक चेतावनी दी – “डेड हैंड से डरिए!” यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि एक ऐसे सैन्य रहस्य की ओर इशारा था.

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    हाल ही में रूस के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दो टूक चेतावनी दी – “डेड हैंड से डरिए!” यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि एक ऐसे सैन्य रहस्य की ओर इशारा था, जिसकी दहशत आज भी पश्चिमी देशों के मन में गहराई तक बैठी हुई है. सवाल उठता है  आखिर ‘डेड हैंड’ है क्या?

    रूस में इस प्रणाली को ‘पेरिमीटर सिस्टम’ कहा जाता है. यह एक स्वचालित परमाणु प्रतिक्रिया प्रणाली है, जिसे ऐसे समय के लिए तैयार किया गया है जब रूस पर इतने बड़े पैमाने पर हमला हो जाए कि उसकी सरकार या सैन्य नेतृत्व का नामोनिशान मिट जाए. 


    क्या है 'डेड हैंड'?

    ऐसे हालात में यह सिस्टम किसी मानव हस्तक्षेप के बिना ही अपने आप परमाणु हथियारों की बारिश शुरू कर सकता है. इसे साधारण शब्दों में समझें तो यह “मरकर भी तबाही मचाने वाली मशीन” है — एक ऐसा सिस्टम जो रूस की संपूर्ण नेतृत्व-श्रृंखला के खत्म होने के बाद भी दुश्मन देशों को खाक कर सकता है.

    कब और क्यों बनी यह प्रणाली?

    'डेड हैंड' को 1980 के दशक में सोवियत संघ ने तैयार किया था. उस वक्त शीत युद्ध अपने चरम पर था और अमेरिका-रूस के बीच परमाणु युद्ध की आशंका मंडरा रही थी. सोवियत नेताओं को डर था कि यदि अमेरिका अचानक हमला कर दे और कमांड-चेन ध्वस्त हो जाए, तो देश के पास जवाब देने का कोई जरिया नहीं रहेगा. इसी डर के चलते ‘डेड हैंड’ को जन्म दिया गया — एक ऐसी प्रणाली, जो बिना आदेश के भी जवाब देने में सक्षम हो.

    कैसे करता है काम?

    इस सिस्टम में खास तरह के सेंसर और अल्गोरिदम लगे होते हैं. ये सेंसर भूकंप जैसा कंपन, परमाणु विकिरण (radiation), रेडियो कम्युनिकेशन के ठप होने जैसे संकेतों को पहचानते हैं. अगर इन्हें संकेत मिलते हैं कि रूस पर भीषण परमाणु हमला हुआ है और सरकारी आदेश या जवाब नहीं आ रहा — तो ये सिस्टम खुद-ब-खुद बचे हुए परमाणु हथियारों को लॉन्च कर देता है. लॉन्च की गई मिसाइलें अमेरिका और उसके मित्र देशों की ओर प्रोग्राम की गई होती हैं यानी अगर रूस खत्म भी हो जाए, तो बदला पक्का.

    क्या अब भी चालू है यह सिस्टम

    रूस ने कभी सार्वजनिक रूप से यह नहीं कहा कि ‘डेड हैंड’ आज भी चालू है. लेकिन पश्चिमी सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह न सिर्फ आज भी काम कर रहा है, बल्कि पहले से ज्यादा तेज, एडवांस और AI-नियंत्रित हो चुका है. कुछ रिपोर्टों में तो यह दावा तक किया गया है कि अब इसे सेटेलाइट इमेजिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भी जोड़ा जा चुका है, जिससे इसकी प्रतिक्रिया क्षमता और खतरनाक हो गई है.

    ट्रंप को क्यों मिली यह चेतावनी

    डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में एक इंटरव्यू में रूस और परमाणु टकराव से जुड़े बयान दिए थे, जिन्हें रूस ने उकसाने वाला और खतरनाक माना. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मेदवेदेव ने ‘डेड हैंड’ का जिक्र किया — मानो यह कह रहे हों कि अगर अमेरिका ने सीमा लांघी, तो रूस के पास ऐसा हथियार है जो मरकर भी दुश्मन को तबाह कर सकता है.

    क्यों पूरी दुनिया में मचा है डर

    ‘डेड हैंड’ को दुनिया की सबसे खतरनाक सैन्य प्रणालियों में से एक माना जाता है. इसकी वजह यह है कि इसमें मानव नियंत्रण बेहद सीमित होता है. अगर कभी तकनीकी गड़बड़ी या गलत अलर्ट के चलते यह सिस्टम सक्रिय हो जाए, तो यह बिना किसी चेतावनी के दुनिया को परमाणु युद्ध में झोंक सकता है. यह प्रणाली इस बात का प्रतीक बन चुकी है कि परमाणु शक्ति सिर्फ बचाव का हथियार नहीं, बल्कि पूरी मानवता को खत्म कर देने वाला अस्त्र भी बन सकती है और शायद यही वजह है कि जब भी रूस 'डेड हैंड' की बात करता है, पूरी दुनिया सिहर उठती है.

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