पश्चिम एशिया एक बार फिर उथल-पुथल के कगार पर खड़ा है. ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते टकराव ने अब ऐसा मोड़ ले लिया है, जहां कूटनीति की जगह युद्ध की आहट सुनाई देने लगी है. हाल ही में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के सबसे करीबी और रणनीतिक सलाहकार माने जाने वाले अली शामखानी की मौत की खबर ने पूरे ईरान को झकझोर कर रख दिया है.
ईरानी सरकारी मीडिया के मुताबिक, अली शामखानी इजराइल की ओर से किए गए प्रारंभिक हवाई हमलों में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. दो दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझने के बाद आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया.
एक रणनीतिक दिमाग का अंत
अली शामखानी को केवल एक सैन्य अधिकारी नहीं, बल्कि ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का स्तंभ माना जाता था. उन्होंने वर्षों तक ईरानी नौसेना की कमान संभाली और बाद में सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रमुख के रूप में काम किया. खामेनेई के बेहद करीबी माने जाने वाले शामखानी की मौत को ईरान में न केवल एक व्यक्तिगत क्षति बल्कि रणनीतिक नुकसान के रूप में देखा जा रहा है.
सड़कों पर गुस्सा और संसद में चेतावनी
अली शामखानी की मौत के बाद ईरान में माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया है. तेहरान समेत कई शहरों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. आम जनता के साथ-साथ राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व भी इस हमले को खुली युद्ध घोषणा के रूप में देख रहा है. ईरानी संसद के कई सदस्य इस हमले को सीधे तौर पर युद्ध की शुरुआत बता रहे हैं, जबकि सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि ईरान इस बार चुप नहीं बैठेगा.
इजराइल के निशाने पर ईरान की सैन्य और वैज्ञानिक शक्ति
शामखानी की मौत के कुछ ही समय बाद एक और बड़ा झटका ईरान को तब लगा जब जानकारी मिली कि इजराइली हमलों में परमाणु वैज्ञानिक अली मंसूर बकूई की भी मौत हो गई है. माजंदरान प्रांत के गवर्नर जनरल ने इसकी पुष्टि की है. रेड क्रिसेंट सोसाइटी के प्रवक्ता बाबक महमूदी खालदी ने बताया कि इजराइली हमलों से ईरान के 31 में से 18 प्रांत प्रभावित हुए हैं. यह आंकड़ा इजराइली कार्रवाई के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है.
इजराइल का अगला कदम क्या?
इजराइली मीडिया के अनुसार, सुरक्षा कैबिनेट अब ईरान में हमलों के विस्तार पर विचार कर रहा है. यह केवल एक जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक पूर्व नियोजित अभियान का हिस्सा माना जा रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह टकराव इसी तरह गहराता रहा, तो पश्चिम एशिया जल्द ही एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध की चपेट में आ सकता है, जिसके प्रभाव दूरगामी और विनाशकारी हो सकते हैं.