Iran and Israel War: पश्चिम एशिया में जारी भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच ईरान के लिए एक राहत की खबर सामने आई है. जिन अली शमखानी को कुछ दिन पहले इजराइली हमले में मारा गया बताया जा रहा था, उन्होंने खुद सामने आकर पुष्टि की है कि वे जीवित हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमले में वे घायल जरूर हुए हैं, लेकिन उनकी मौत की खबरें झूठी और भ्रामक हैं.
शमखानी का बयान और इजराइली मीडिया की रिपोर्ट
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी और वरिष्ठ सलाहकार अली शमखानी ने अपने ज़िंदा होने की पुष्टि फारस न्यूज़ एजेंसी के ज़रिए की है. उन्होंने बयान में कहा, "मैं अभी जीवित हूं. इजराइल के एक हमले में मुझे चोटें जरूर आई हैं, लेकिन मैं पूरी तरह से ठीक हो रहा हूं. यह वही हमला बताया जा रहा है जिसे इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने अंजाम दिया था. उस वक्त शमखानी को लेकर कई अफवाहें फैल गई थीं कि वे मारे जा चुके हैं.
कौन हैं अली शमखानी?
शमखानी ईरान की राजनीति और सैन्य रणनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं. वे न सिर्फ अयातुल्ला खामेनेई के विश्वस्त सलाहकार हैं, बल्कि पूर्व में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव के तौर पर भी कार्य कर चुके हैं. उनके पास ईरान के परमाणु कार्यक्रम की प्रमुख जिम्मेदारी है, जो वैश्विक निगाहों में है. उनका काम राष्ट्रपति और सुप्रीम लीडर के बीच रणनीतिक तालमेल बैठाना भी है, जिससे यह तय होता है कि ईरान की सैन्य और राजनीतिक नीतियां किस दिशा में जाएंगी.
इजराइल की बढ़ती चिंता
शमखानी के जीवित होने की खबर ने इजराइली खेमे में चिंता की लहर दौड़ा दी है. वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख रणनीतिकार माने जाते हैं, और उनकी वापसी से यह संकेत जा रहा है कि तेहरान अपनी परमाणु नीति को अब और भी आक्रामक रूप से आगे बढ़ा सकता है. अमेरिका की खुफिया एजेंसियों का पहले से ही मानना है कि ईरान परमाणु बम के बेहद करीब है और बस उसे सुप्रीम लीडर की अंतिम स्वीकृति का इंतजार है.
गुप्त स्थान पर चल रहा है इलाज
ईरानी मीडिया के अनुसार शमखानी की हालत गंभीर थी लेकिन अब स्थिर है. उनका इलाज राजधानी तेहरान के एक अज्ञात स्थान पर किया जा रहा है, ताकि इजराइली एजेंसियों से सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इजराइल अतीत में ईरान के 9 परमाणु वैज्ञानिकों और लगभग 10 सैन्य अधिकारियों को निशाना बना चुका है. ऐसे में ईरान अब अपने शीर्ष अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर और सतर्क हो गया है.
क्या बढ़ेगा परमाणु टकराव?
शमखानी की वापसी इस बात का संकेत हो सकती है कि ईरान अब अपने परमाणु कार्यक्रम को और तेज़ी से आगे बढ़ाएगा. इससे पश्चिम एशिया में पहले से चल रहे तनाव और भी गहरा सकते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले दिनों में अगर ईरान ने परमाणु गतिविधियों को और बढ़ावा दिया, तो इजराइल की जवाबी कार्रवाई भी और कठोर हो सकती है.
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