Israeli Operations In Gaza: जब युद्ध की मार थमती नहीं, और भूख जिंदगी को धीरे-धीरे निगलने लगती है, तब ग़ाज़ा जैसे इलाके की चीखें अंतरराष्ट्रीय समाज के कानों में गूंजनी चाहिए. लेकिन शायद अब वो चीखें भी थक चुकी हैं.
ग़ाज़ा में मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. इजरायली हमलों और नाकेबंदी के बीच बीते 24 घंटों में कम से कम 72 फिलिस्तीनी मारे गए, जबकि बीते तीन दिनों में 21 बच्चों की मौत सिर्फ भूख के कारण हो चुकी है. इनमें से एक बच्चा महज डेढ़ महीने का था.
“ये सिर्फ युद्ध नहीं, ये एक मानवता का संकट है”
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय और यूएन एजेंसियों के आंकड़े उस त्रासदी को बयां कर रहे हैं, जो अब रुकने का नाम नहीं ले रही. अब तक भूख और कुपोषण से 101 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 80 बच्चे शामिल हैं. इनमें से अधिकतर मौतें पिछले कुछ ही हफ्तों में हुई हैं. UNRWA प्रमुख फिलिप लाजारिनी, “हमने इतने भयानक हालात पहले कभी नहीं देखे. ग़ाज़ा अब धरती पर नर्क बन चुका है.”
इजरायल की नाकेबंदी और राहत पर रोक
ग़ाज़ा में भोजन, पानी और दवाओं की आपूर्ति पूरी तरह से इजरायली नियंत्रण में है. मानवीय सहायता के रास्ते बंद हैं और जिन स्थानों पर मदद मिल रही है, वहां भूखी भीड़ पर गोलियां तक बरसाई जा रही हैं. UN के अनुसार, खाने की तलाश में निकले 1,000 लोगों की जान जा चुकी है.
थक चुकी है जिंदगी, थम रही है उम्मीद
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेताया है कि ग़ाज़ा में अब भुखमरी हर दरवाजे पर दस्तक दे रही है. उनका कहना है कि वहां मानवीय व्यवस्था टूटने की कगार पर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी दावा किया है कि इजरायली सेना ने उनके स्टाफ क्वार्टर और मुख्य गोदाम पर हमला किया. तीन बार हुए इन हमलों ने राहत केंद्रों को आग और बर्बादी में तब्दील कर दिया.
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