मध्य-पूर्व एक बार फिर अशांत हवाओं से कांप रहा है. ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु वार्ता अब बेहद नाज़ुक मोड़ पर पहुंच चुकी है — और इस पूरे घटनाक्रम पर सबसे पैनी निगाह रखे है इजरायल, जो इस बार चुप तो है… मगर तैयारी में कोई कमी नहीं छोड़ रहा.
जहां एक ओर वॉशिंगटन और तेहरान के बीच कूटनीतिक बातचीत अंतिम प्रयासों में जुटी है, वहीं दूसरी ओर इजरायल ने अमेरिका को आश्वस्त किया है कि जब तक यह वार्ता पूरी तरह नाकाम नहीं हो जाती, तब तक वह ईरान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा.
यह जानकारी अमेरिकी वेबसाइट एक्सियोस में छपी एक रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है, जिसमें बताया गया कि इजरायली रणनीतिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर, मोसाद प्रमुख डेविड बर्निया, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार त्जाची हानेगबी ने वॉशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों से यह स्पष्ट संदेश साझा किया.
एक वरिष्ठ इजरायली अधिकारी ने कहा, "अगर कूटनीतिक समाधान निकल सकता है, तो हमला करने का कोई तुक नहीं है. हम तब तक इंतजार करेंगे, जब तक बातचीत पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती." लेकिन इस शांति के बीच एक और खबर मध्य-पूर्व की जमीन को झुलसाने के संकेत दे रही है…
चीन से मिसाइल सामग्री मंगा रहा ईरान!
एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने चीन से बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए बड़ी मात्रा में सामान मंगवाया है, जिसमें मुख्य रूप से अमोनियम परक्लोरेट शामिल है. यही वो रसायन है जिससे शक्तिशाली रॉकेट मोटर तैयार किए जाते हैं. अगर ये रिपोर्टें सही हैं, तो ईरान इस सामग्री से 800 से अधिक मिसाइलें तैयार कर सकता है — जो कि सिर्फ इजरायल ही नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी एक गहरी चिंता का कारण है.
यह सौदा ‘पिशगमन तेजारत रफी नोविन’ नामक ईरानी कंपनी और हॉन्गकॉन्ग की ‘लायन कमोडिटीज होल्डिंग्स’ के बीच हुआ बताया गया है. माना जा रहा है कि इस सामग्री का कुछ हिस्सा ईरान समर्थित संगठनों — जैसे हूती विद्रोही, हिज़बुल्लाह, और हमास — को भी भेजा जा सकता है.
अमेरिका-ईरान परमाणु डील
अमेरिका और ईरान के बीच अप्रैल 2025 से चल रही परमाणु वार्ता फिलहाल एक बेहद संवेदनशील दौर में है. अमेरिका ने ईरान के सामने एक प्रस्ताव रखा है जिसमें यूरेनियम संवर्धन को सीमित करने की बात कही गई है, मगर इसे पूरी तरह समाप्त नहीं किया जाएगा.
हालांकि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. उनका रुख साफ है — या तो पूरा अधिकार, या फिर कोई समझौता नहीं. इसका सीधा मतलब है कि बातचीत किसी भी समय विफल हो सकती है, और यही वो क्षण होगा जब इजरायल अपनी "रेड लाइन" पार कर सकता है.
मिसाइल संयंत्रों की मरम्मत और हवाई सुरक्षा का उन्नयन
गौरतलब है कि अक्टूबर 2024 में इजरायल ने ईरान के मिसाइल उत्पादन संयंत्रों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, जिसमें कई महत्वपूर्ण मशीनें, विशेष रूप से मिक्सर यूनिट्स, नष्ट कर दी गई थीं. अब ईरान उन संयंत्रों को फिर से कार्यशील करने के साथ-साथ अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को मजबूत कर रहा है. ईरान की योजना है कि वह इजरायल की किसी भी हवाई हमले की आक्रामकता का जवाब देने के लिए पहले से तैयार रहे.
हथियारों के खेल में छिपा युद्ध का संकेत?
ईरान लगातार अपने हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है, और अब वह सीधे चीन से ऐसी सामग्रियां मंगवा रहा है जिनसे बड़े स्तर पर बैलिस्टिक मिसाइल बनाई जा सकती हैं. चाहे वह यमन के हूती हों, ग़ज़ा का हमास, या लेबनान में हिज़बुल्लाह — ईरान इन सभी प्रॉक्सी मिलिशिया को न सिर्फ फंड कर रहा है बल्कि उन्हें मिसाइल, ड्रोन और रॉकेट सिस्टम भी दे रहा है. और ये वही समूह हैं जो समय-समय पर इजरायल पर हमले करते रहे हैं.
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