Israel Hamas War: जब युद्ध अपने चरम पर हो और हर तरफ आग ही आग हो, तब अगर कोई "समझौते" की बात करे तो वह सिर्फ एक विकल्प नहीं, इंसानियत की आखिरी उम्मीद बन जाती है. कुछ ऐसा ही संदेश दिया है इजरायल की सेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एयाक जमीर ने, जिन्होंने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से हमास के साथ बंधकों की अदला-बदली का समझौता करने की अपील की है.
जनरल जमीर का मानना है कि सेना की लगातार कार्रवाई के बाद अब हमास समझौते के लिए मजबूर हो गया है और तैयार भी. उनका कहना है कि अगर सरकार इस समझौते को हरी झंडी देती है, तो सभी जीवित बंधकों की सुरक्षित रिहाई संभव है.
अब गेंद नेतन्याहू के पाले में
जनरल का यह बयान सिर्फ एक सैन्य अधिकारी की सलाह नहीं, बल्कि एक नैतिक आग्रह भी है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब बारी नेतन्याहू की है कि वे आगे आकर फैसले लें—फैसला, जो या तो कई जानें बचा सकता है, या फिर उन्हें खोने के लिए मजबूर कर देगा.
यमन पर इजरायली प्रहार
इधर, इजरायल ने मोर्चा सिर्फ हमास तक सीमित नहीं रखा. यमन की राजधानी सना पर लगातार दूसरे दिन जबरदस्त हवाई हमले किए गए, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 86 घायल हुए हैं. इन हमलों में बिजलीघर, तेल संयंत्र और हूती संगठन के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया.
इजरायली कार्रवाई हूती विद्रोहियों पर इसलिए की गई क्योंकि वे हमास समर्थक माने जाते हैं और हाल ही में इजरायल की राजधानी तेल अवीव पर मिसाइल हमले के पीछे उन्हीं का हाथ बताया जा रहा है. इस हमले में कई नागरिक घायल हुए थे और बेन गुरियन एयरपोर्ट को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था.
अब क्या चुनेगा इजरायल?
इस पूरे घटनाक्रम के बीच अब सबसे बड़ा सवाल यही है, क्या इजरायल इस मोड़ पर समझौते की राह चुनेगा या फिर जंग की आग को और भड़कने देगा? जनरल जमीर की सलाह, यमन पर हमला और हमास की मौजूदा स्थिति, ये सभी संकेत दे रहे हैं कि एक निर्णायक वक्त आ गया है. अब देखना यह होगा कि नेतन्याहू की अगुवाई वाली सरकार युद्ध के शोर में शांति की आवाज सुन पाती है या नहीं.
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