नई दिल्ली: हवाई युद्ध अब केवल दूरी और मारक क्षमता की बात नहीं रह गई है. यह अब एक नया दौर है, जहां तकनीकी श्रेष्ठता और छल-कपट से भरे युद्ध छेड़े जा रहे हैं. हाल ही में एशिया और मध्य-पूर्व में दो घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि भविष्य के हवाई युद्धों की दिशा पूरी तरह बदल चुकी है. इनमें एक था पाकिस्तान के खिलाफ भारत का ऑपरेशन सिंदूर और दूसरा, ईरान में इज़राइली विमानों की कथित गिरावट. इन दोनों घटनाओं में लड़ाकू विमानों को मार गिराने का दावा किया गया था. हालांकि, एक मामले में, छल-कपट की पुष्टि हुई; दूसरे में, उन पर संदेह जताया गया है.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की हवा में बढ़ती ताकत
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को मई 2025 में उस समय अंजाम दिया जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे. भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाते हुए चार दिनों तक सटीक हमले किए. भारतीय वायुसेना के राफेल, मिराज 2000 और सुखोई-30MKI विमानों ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें स्पाइस-2000 बम और स्कैल्प क्रूज मिसाइल का उपयोग किया गया. लेकिन इस ऑपरेशन की असली खासियत न तो कोई मिसाइल थी, न ही कोई मानवयुक्त विमान. बल्कि इसका मुख्य आकर्षण था "X-Guard" नामक एक फाइबर-ऑप्टिक डिकॉय सिस्टम.
पाकिस्तान को चकमा देने वाला X-Guard डिकॉय
X-Guard एक इजरायली द्वारा विकसित अत्याधुनिक डिकॉय सिस्टम है, जिसे भारतीय राफेल विमानों में इंटीग्रेट किया गया था. यह प्रणाली राफेल के Spectra Electronic Warfare suite से जुड़ी हुई है और विमान के पीछे एक केबल के माध्यम से जुड़कर 360 डिग्री जैमिंग सिग्नल उत्पन्न करती है. इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन की रडार-गाइडेड मिसाइलों को धोखा देना और उन्हें झूठे संकेत भेजकर लक्ष्य से भटका देना था. यह प्रणाली Artificial Intelligence (AI) और Digital Radio Frequency Memory (DRFM) तकनीक से लैस है, जो वास्तविक समय में सिग्नेचर को लगातार बदलती रहती है.
पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन में भारत के पांच विमानों को मार गिराने का दावा किया, जिनमें से तीन राफेल विमानों के होने का दावा था. लेकिन भारतीय अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने कोई भारतीय विमान नहीं गिराया, बल्कि वह X-Guard डिकॉय को निशाना बना रहा था.
भारत की चतुराई: PL-15 मिसाइल से मुकाबला
भारत ने X-Guard डिकॉय के माध्यम से न केवल पाकिस्तान को धोखा दिया, बल्कि चीनी मूल की PL-15E मिसाइल की नकल करने की क्षमता भी हासिल की, जो भविष्य के हवाई युद्धों में एक महत्वपूर्ण तकनीकी बढ़त साबित हो सकती है. इस टेक्नोलॉजी ने भारतीय विमानों को पाकिस्तान के हमलों से बचने में मदद की और साथ ही पाकिस्तान के मिसाइल मलबे को भी बरामद किया.
इज़राइल और ईरान: झूठ का पर्दाफाश
अब, एक महीने बाद, जून 2025 में, एक अन्य दिलचस्प घटना हुई, जब ईरानी अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने इज़राइल के F-35I अदिर स्टील्थ जेट विमानों को मार गिराया है. यह दावा तेहरान में हुई एक कथित हवाई घुसपैठ के बाद किया गया. ईरान ने यह भी कहा कि उन्होंने एक महिला पायलट को जीवित पकड़ा है. यह घटनाक्रम तब सामने आया जब इजरायल के मोसाद ने ईरान के पास एक ड्रोन अड्डा स्थापित किया था, जिससे हवाई घुसपैठ की संभावना जताई गई थी.
ईरानी मीडिया ने लगातार एक के बाद एक चार F-35 विमानों के गिरने की खबरें दीं, लेकिन किसी भी तरह के सबूत का कोई विवरण नहीं दिया. इज़राइल ने इन दावों को सिरे से नकारते हुए इसे "निराधार झूठ" करार दिया.
ALE-70 डिकॉय: इज़राइल का बचाव
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इज़राइल ने अपने F-35 विमानों को बचाने के लिए अत्याधुनिक ALE-70 डिकॉय सिस्टम का इस्तेमाल किया. यह एक अत्याधुनिक फाइबर-ऑप्टिक डिकॉय है, जो BAE सिस्टम्स द्वारा विकसित किया गया है. इसे F-35 के निचले हिस्से में फिट किया जाता है और यह रडार से बचाव के लिए एक झूठा लक्ष्य उत्पन्न करता है. ALE-70 प्रणाली हवाई हमलों के दौरान एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हुई है, जो विमान के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है.
यह डिकॉय सिर्फ दो सेकंड में तैनात हो सकता है और यह सुपरसोनिक गति को सहन कर सकता है. इसकी कीमत कुछ 56,375 अमेरिकी डॉलर के करीब है, जो कि F-35 की लागत और एक प्रशिक्षित पायलट के जीवन की कीमत के मुकाबले काफी कम है.
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