गाजा में संघर्ष की आग थमने का नाम नहीं ले रही है. लगातार बमबारी और जमीनी कार्रवाई से तबाह हो चुके इस छोटे से इलाके पर अब इजरायल ने पूरी तरह कब्जा जमाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने गाजा पर सीधा नियंत्रण स्थापित करने की योजना को मंजूरी दे दी है, जिससे वैश्विक राजनीति में हलचल मच गई है. इस फैसले के विरोध में न केवल अरब जगत, बल्कि यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र तक ने कड़ा रुख दिखाया है. वहीं, इजरायल के भीतर भी यह निर्णय गहरे विवाद का कारण बना हुआ है.
रविवार को दक्षिणी इजरायल से सामने आई तस्वीरों में गाजा की सीमा पर टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां और बड़ी संख्या में तैनात सैनिक साफ देखे गए. जानकारों का मानना है कि यह अब केवल सीमित हमलों तक सीमित रहने की रणनीति नहीं है, बल्कि गाजा सिटी पर प्रत्यक्ष कब्जे की तैयारी है. पिछले 22 महीनों में गाजा पर हुए लगातार हमलों ने वहां की इमारतों, सड़कों और बुनियादी ढांचे को मलबे में तब्दील कर दिया है.
मौत, भूख और बर्बादी का आंकड़ा
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, इस संघर्ष में अब तक 60 हज़ार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं और लाखों घायल हुए हैं. बड़ी आबादी भूख और दवाइयों की कमी से जूझ रही है. गाजा की त्रासदी के खिलाफ इस्तांबुल, बार्सिलोना, ब्यूनस आयर्स और चिली जैसे शहरों में भारी विरोध प्रदर्शन हुए हैं. तुर्किए की राजधानी में हजारों लोग फिलिस्तीनी झंडे लेकर सड़कों पर उतरे और "गाजा, तुम अकेले नहीं हो" के नारे लगाए.
वैश्विक प्रदर्शन और आरोप
स्पेन के बार्सिलोना में प्रदर्शनकारियों ने इजरायल पर गाजा से मुसलमानों को जबरन बाहर निकालने का आरोप लगाया. वहीं, अर्जेंटीना की राजधानी में लोगों ने इजरायली सेना पर नरसंहार के आरोप लगाते हुए विश्व समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की. चिली में सैकड़ों लोग खाली बर्तन बजाकर गाजा में फैली भुखमरी की ओर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते दिखे.
इजरायल के भीतर भी विरोध
इजरायल में भी यह योजना आलोचना का शिकार है. तेल अवीव में बंधकों की रिहाई की मांग को लेकर साप्ताहिक प्रदर्शन में बंधकों के परिजनों ने सरकार से हमास के साथ समझौता करने की अपील की. उनका कहना है कि गाजा पर कब्जा बढ़ाने की कोशिश, वहां बचे बंधकों की जान को और खतरे में डाल सकती है.
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