ब्रह्मोस और बराक-8 मिसाइल, रडार में नहीं आएंगे... इंडियन नेवी में शामिल हुए INS उदयगिरि-INS हिमगिरी

    भारतीय नौसेना ने एक और बड़ी छलांग लगाते हुए अपनी युद्ध क्षमता में इज़ाफा किया है. हाल ही में दो अत्याधुनिक स्वदेशी युद्धपोत- INS उदयगिरि और INS हिमगिरि को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है.

    INS Udayagiri-INS Himgiri joined the Indian Navy
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    भारतीय नौसेना ने एक और बड़ी छलांग लगाते हुए अपनी युद्ध क्षमता में इज़ाफा किया है. हाल ही में दो अत्याधुनिक स्वदेशी युद्धपोत- INS उदयगिरि और INS हिमगिरि को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है. ये दोनों युद्धपोत तकनीकी रूप से इतने उन्नत हैं कि वे दुश्मन के रडार, थर्मल और ध्वनि सेंसर की पकड़ में नहीं आते. इस कदम के साथ भारत की समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी रणनीतिक स्थिति और भी मजबूत हो गई है.

    INS उदयगिरि और INS हिमगिरि स्टेल्थ युद्धपोत

    दोनों पोत भारत में ही विकसित और निर्मित किए गए हैं- INS हिमगिरि का निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा किया गया है, जबकि INS उदयगिरि को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने तैयार किया है.

    INS हिमगिरि का नाम 1970 में सेवा में आए एक पुराने युद्धपोत के नाम पर रखा गया है, जो भारतीय नौसेना के इतिहास में अहम स्थान रखता है.

    INS उदयगिरि का नाम आंध्र प्रदेश की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखला 'उदयगिरि' पर आधारित है. खास बात यह है कि इसे मात्र 37 महीनों में बनाकर तैयार किया गया है, जो नौसेना के निर्माण कौशल की मिसाल है.

    हथियार प्रणाली: ब्रह्मोस और बराक-8 से लैस

    इन दोनों युद्धपोतों की सबसे बड़ी ताकत है इनकी मल्टी-रोल क्षमताएं और इन पर तैनात उन्नत हथियार सिस्टम:

    ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल – दुनिया की सबसे तेज और सबसे घातक एंटी-शिप मिसाइलों में से एक, जो समुद्र से समुद्र और समुद्र से जमीन पर लक्ष्य भेदने में सक्षम है.

    बराक-8 मिसाइल सिस्टम – यह भारत और इज़राइल के संयुक्त प्रयास से विकसित की गई लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (LRSAM) है, जो दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम है.

    76 मिमी नौसैनिक तोप – यह मुख्य नौसैनिक गन समुद्री हमलों से रक्षा में इस्तेमाल होती है.

    टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन हथियार – पनडुब्बियों से मुकाबले के लिए ये जहाज अत्याधुनिक सोनार और अंडरवाटर टारगेटिंग सिस्टम से लैस हैं.

    INS अर्णाला: उथले पानी में पनडुब्बियों का दुश्मन

    इन दोनों युद्धपोतों के पहले, 18 जून को भारत ने अपना पहला एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW-SWC)- INS अर्णाला भी नौसेना में शामिल किया था. यह जहाज विशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में एक समारोह में कमीशन किया गया, जिसमें CDS जनरल अनिल चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

    • इसका नाम महाराष्ट्र के वसई में स्थित ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर रखा गया है.
    • इसे GRSE और L&T शिपबिल्डर्स ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत तैयार किया है.
    • यह जहाज उथले समुद्री क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें निष्क्रिय करने में पूरी तरह सक्षम है.

    भारतीय नौसेना के लिए एक और मील का पत्थर

    इससे पहले 15 जनवरी 2025 को तीन और उन्नत नौसैनिक युद्धपोत भारतीय नौसेना में जोड़े गए थे:

    • INS सूरत – एक शक्तिशाली डिस्ट्रॉयर (विध्वंसक)
    • INS नीलगिरि – अगली पीढ़ी का स्टेल्थ फ्रिगेट
    • INS वाघशीर – एक आधुनिक पनडुब्बी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों पोतों के कमीशनिंग के दौरान कहा था कि भारतीय नौसेना अब पूरी तरह से ‘आत्मनिर्भर और अल्ट्रा-मॉडर्न फोर्स’ की ओर बढ़ रही है.

    भारतीय नौसेना की मौजूदा ताकत

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2025 तक भारतीय नौसेना के पास 135 से ज्यादा सक्रिय युद्धपोत सेवा में हैं. मौजूदा समय में नौसेना की संरचना इस प्रकार है:

    • 20 पनडुब्बियां, जिनमें:
    • 2 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां
    • 1 परमाणु-संचालित अटैकर पनडुब्बी
    • 17 डीजल-इलेक्ट्रिक अटैकर पनडुब्बियां
    • 13 विध्वंसक (Destroyers)
    • 15 फ्रिगेट्स
    • 18 कॉर्वेट्स
    • 2 विमानवाहक पोत – INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत
    • 1 उभयचर परिवहन जहाज (INS जलाश्व)
    • 4 टैंक लैंडिंग शिप्स
    • 8 लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी
    • 1 माइन काउंटरमेजर जहाज
    • 30 से अधिक गश्ती पोत

    भारतीय नौसेना का लक्ष्य है कि 2035 तक यह संख्या बढ़कर 175 से अधिक युद्धपोतों तक पहुंच जाए. वर्तमान में लगभग 50 जहाज निर्माणाधीन हैं, जो निकट भविष्य में सेवा में शामिल किए जाएंगे.

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