नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा से ठीक पहले भारत ने यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका की चेतावनियों को सख्त लहजे में खारिज कर दिया है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने दो टूक कह दिया है कि रूस से तेल की खरीद पर भारत किसी के दबाव में नहीं झुकेगा. उन्होंने साफ कर दिया कि भारत की प्राथमिकता ऊर्जा सुरक्षा है, और इसके लिए जो जरूरी होगा, वह किया जाएगा.
भारत की नीति: राष्ट्रीय हित पहले
विदेश सचिव मिसरी ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "हमारी सरकार के लिए ऊर्जा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारतीयों की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हम हर आवश्यक कदम उठाएंगे."
उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय नीति में दोहरा मापदंड नहीं चल सकता. जब यूरोप अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का समाधान अपने हिसाब से करता है, तो भारत को भी यही हक है.
क्या है EU की आपत्ति?
EU ने यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इन प्रतिबंधों में अब तीसरे देशों — जैसे भारत, तुर्की और UAE — से रूसी कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर भी प्रत्यक्ष रोक लगाई गई है.
भारत जैसे देशों से आने वाले डीजल, पेट्रोल और जेट फ्यूल को अब यूरोपीय बाज़ार में जगह मिलना मुश्किल हो सकता है.
भारत पर असर: 27% तक गिर सकता है निर्यात
भारत ने 2025 में रूस से 50.3 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल खरीदा, जो कुल आयात का एक-तिहाई से भी अधिक है.
इसका अर्थ है कि यदि EU रूसी कच्चे तेल से जुड़े उत्पादों पर पाबंदी लगाता है, तो भारत को आर्थिक झटका लग सकता है. लेकिन भारत ने संकेत दिए हैं कि वह विकल्पों पर काम कर रहा है और अपनी ऊर्जा नीति पर कोई समझौता नहीं करेगा.
अमेरिका की चेतावनी: भारी टैरिफ की धमकी
अमेरिका भी भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे BRICS देशों को रूसी तेल आयात को लेकर दबाव डाल रहा है.
सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने फॉक्स न्यूज से कहा, "अगर आप रूस से सस्ता तेल खरीदते रहे, जिससे युद्ध चल रहा है, तो हम आपकी अर्थव्यवस्था पर भारी टैरिफ लगाएंगे. आप जो कर रहे हैं, वह खून की कमाई है."
हालांकि भारत ने अमेरिका को भी यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी की भयावह चेतावनियों से प्रभावित नहीं होगा.
भारत का रुख क्यों अलग है?
ऊर्जा जरूरतें बड़ी हैं: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है. उसकी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए सस्ते और भरोसेमंद ऊर्जा स्रोत अनिवार्य हैं.
नीतिगत स्वतंत्रता: भारत रणनीतिक रूप से स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है, और किसी ब्लॉक के कहने पर अपने हितों की बलि नहीं देगा.
वैकल्पिक बाजारों की तैयारी: भारत अन्य बाजारों की तलाश में भी है, लेकिन फिलहाल रूस से कच्चा तेल मिलना सबसे सस्ता और सुलभ है.
ये भी पढ़ें- ईरान का सपना चकनाचूर... इजरायल ने सीजफायर से ठीक पहले परमाणु वैज्ञानिक को किया था ढेर, देखें रिपोर्ट