India US trade deal: भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित ट्रेड डील को लेकर चर्चाएं अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी हैं. महीनों से चल रही बातचीत के बाद, अब अगले 48 घंटों में एक अंतरिम व्यापार समझौते (interim trade deal) पर मुहर लगने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली और वॉशिंगटन डीसी के बीच वार्ता तेज हो गई है, और भारतीय प्रतिनिधिमंडल फिलहाल अमेरिका में मौजूद है.
इंडिया और US बातचीत में तेजी, लेकिन सहमति अभी अधूरी
भारतीय टीम का यह दौरा पहले समाप्त होने वाला था, लेकिन ट्रेड डील को अंतिम रूप देने के लिए वे वॉशिंगटन में कुछ दिन और रुकने का निर्णय ले चुके हैं. दोनों देशों ने पहले 9 जुलाई तक इस समझौते पर सहमति बनाने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन अब शॉर्ट-टर्म समझौते की घोषणा उससे पहले भी हो सकती है.
किन मुद्दों पर अटकी है डील?
अमेरिका की प्रमुख मांगें है डेयरी और कृषि क्षेत्र में अधिक पहुंच: अमेरिका चाहता है कि भारत अपने डेयरी बाजार और कृषि उत्पादों, खासकर जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों (GM crops) के लिए दरवाजे खोले. नॉन-टैरिफ बाधाएं कम हों: तकनीकी और सेफ्टी स्टैंडर्ड को लेकर अमेरिका भारतीय नीतियों में ढील चाहता है. भारत की प्रमुख मांगें हैं, जूते, कपड़े और चमड़ा उत्पादों पर टैरिफ में छूट. हाई-इम्प्लॉयमेंट गुड्स (जिनसे भारत में रोजगार पैदा होता है) पर अमेरिका से ड्यूटी रियायत की मांग.
टैरिफ बना बड़ी रुकावट
भारत के लिए सबसे अहम मुद्दा अमेरिका की टैरिफ नीति है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक हाई-ड्यूटी वाले उत्पादों पर अमेरिका से रियायत नहीं मिलती, भारत समझौते पर हस्ताक्षर करने से बचेगा. खासकर ऐसे उत्पाद जिनसे रोजगार जुड़ा हुआ है, उनमें बिना टैरिफ कटौती के समझौता भारत के लिए फायदेमंद नहीं होगा. एक्सपर्ट्स का मानना है: यदि यह बाधाएं दूर नहीं होतीं, तो 2030 तक 500 बिलियन डॉलर द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य हासिल करना काफी मुश्किल होगा.
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