अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव की पृष्ठभूमि में भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया की दिशा में अपनी कूटनीति को और मजबूत किया है. 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की मुलाकात के दौरान दोनों देशों ने भविष्य की दिशा तय करते हुए 5 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इन समझौतों का प्रभाव सिर्फ भारत और सिंगापुर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा.
वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सिंगापुर, भारत की "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" का एक मजबूत स्तंभ है और दोनों देशों की साझेदारी केवल आर्थिक नहीं, बल्कि साझा मूल्यों और विश्वासों पर आधारित है. सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने भी कहा कि वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं के दौर में भारत-सिंगापुर की साझेदारी पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण बन गई है. बैठक के दौरान मुंबई में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट पर बने ‘भारत मुंबई कंटेनर टर्मिनल’ के दूसरे चरण का उद्घाटन भी संयुक्त रूप से किया गया, जिसमें सिंगापुर की कंपनी PSA इंटरनेशनल ने 1 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है.
भारत-सिंगापुर सहयोग के पांच नए आयाम
डिजिटल एसेट और फिनटेक इनोवेशन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सिंगापुर की मौद्रिक प्राधिकरण (MAS) के बीच हुआ समझौता क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स और डिजिटल फाइनेंशियल चैनल्स को नई मजबूती देगा.
एविएशन सेक्टर में ट्रेनिंग और रिसर्च
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और सिंगापुर की सिविल एविएशन अथॉरिटी के बीच हुआ करार एविएशन सेक्टर की क्षमताएं बढ़ाने के लिए संयुक्त प्रशिक्षण और अनुसंधान पर केंद्रित है.
ग्रीन और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर
समुद्री क्षेत्र में शून्य-उत्सर्जन ईंधनों और स्मार्ट पोर्ट टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों ने साझा ढांचा विकसित करने पर सहमति जताई है.
मैन्युफैक्चरिंग में स्किलिंग को बढ़ावा
चेन्नई में 'नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग इन मैन्युफैक्चरिंग' की स्थापना की जाएगी, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रशिक्षित कार्यबल मिलेगा.
अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग
भारत और सिंगापुर के बीच स्पेस टेक्नोलॉजी में पहले से चल रहे सहयोग को और विस्तार मिलेगा. अब तक भारत ने सिंगापुर के करीब 20 उपग्रह सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं. सिंगापुर: भारत के लिए एक रणनीतिक सहयोगी सिंगापुर लगातार 7 वर्षों से भारत का सबसे बड़ा विदेशी निवेशक (FDI) बना हुआ है. अब तक दोनों देशों के बीच कुल निवेश 170 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. द्विपक्षीय व्यापार 2004-05 में 6.7 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 35 अरब डॉलर हो चुका है. सिंगापुर को भारत ASEAN देशों के साथ जोड़ने वाले एक प्रमुख सेतु के रूप में देखता है. भारत और सिंगापुर ने यह भी तय किया है कि CECA (Comprehensive Economic Cooperation Agreement) और AITIGA (ASEAN-India Trade in Goods Agreement) की समीक्षा जल्द की जाएगी, जिससे व्यापार और निवेश के नए रास्ते खुल सकें.
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