इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के चलते न केवल कूटनीतिक संबंधों में खटास आई है, बल्कि इसका असर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और वायुसेवा राजस्व पर भी साफ दिखाई देने लगा है. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद क्षेत्रीय अस्थिरता के चलते कई बड़ी वैश्विक एयरलाइन कंपनियों ने पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से दूरी की नीति अपनाई है. इससे पाकिस्तान को हर महीने लाखों डॉलर के राजस्व घाटे का सामना करना पड़ सकता है.
हवाई क्षेत्र से परहेज कर रही एयरलाइनें
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयर फ्रांस, लुफ्थांसा, ब्रिटिश एयरवेज, स्विस इंटरनेशनल एयरलाइंस और अमीरात सहित कई एयरलाइन कंपनियों ने पाकिस्तान के ऊपर से उड़ानें रोक दी हैं. एयर फ्रांस ने इस फैसले के पीछे "भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव" को कारण बताया है. इसी तरह लुफ्थांसा ने भी "सावधानीपूर्वक कदम उठाते हुए" पाकिस्तानी हवाई मार्ग से बचने की बात कही है.
यह परिवर्तन न केवल सुरक्षा चिंताओं को दर्शाता है बल्कि उड़ानों के संचालन पर ईंधन लागत और उड़ान समय में वृद्धि का भी संकेत देता है. उदाहरणस्वरूप, कई एयरलाइनें अब अरब सागर के रास्ते लंबा चक्कर लगाकर दिल्ली या अन्य भारतीय गंतव्यों तक पहुंच रही हैं.
हवाई मार्ग से होने वाली आय में गिरावट
पाकिस्तान भौगोलिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण हवाई मार्ग पर स्थित है, जो यूरोप, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया को जोड़ता है. सामान्य परिस्थितियों में, इस क्षेत्र से गुजरने वाली प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय उड़ान पाकिस्तान को एक निर्धारित नेविगेशनल शुल्क अदा करती है. यही शुल्क महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा आय का स्रोत बनता है.
अब जब कई प्रमुख एयरलाइन कंपनियों ने पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान भरना बंद कर दिया है, तो यह आय अचानक रुक सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पाकिस्तान को प्रतिमाह लाखों डॉलर का नुकसान हो सकता है — ऐसे समय में जब देश पहले से ही वित्तीय चुनौतियों और विदेशी कर्ज के दबाव से जूझ रहा है.
क्षेत्रीय तनाव की जड़ में पहलगाम हमला
यह पूरा घटनाक्रम 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या हुई. भारत ने इस हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान-समर्थित आतंकी संगठनों को ठहराया, जबकि पाकिस्तान सरकार ने इससे अपना पल्ला झाड़ते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा अब तक इस मुद्दे पर संयम बरता गया है, लेकिन एयरलाइन कंपनियों द्वारा उठाए गए एहतियाती कदम इस बात का संकेत हैं कि वैश्विक संस्थाएं क्षेत्रीय अस्थिरता को गंभीरता से ले रही हैं.
उड्डयन सेक्टर के लिए एक और चुनौती
वैश्विक विमानन उद्योग पहले से ही यूक्रेन-रूस युद्ध और मध्य पूर्व में अस्थिर हालात के चलते वैकल्पिक मार्गों और बढ़े हुए संचालन खर्च से जूझ रहा है. अब भारत-पाक तनाव एक और ऐसे क्षेत्र में तब्दील हो गया है, जहाँ एयरलाइन कंपनियों को सुरक्षा बनाम लागत के बीच संतुलन साधना पड़ रहा है.
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