जब बात जान-माल की सुरक्षा की होती है, तो सरहदें मायने नहीं रखतीं. इंसानियत सबसे बड़ी प्राथमिकता बन जाती है. ऐसा ही एक उदाहरण भारत ने हाल ही में पेश किया है, जब उसने सतलुज नदी में संभावित बाढ़ को लेकर पाकिस्तान को समय रहते चेतावनी भेजी. यह कदम उस वक्त उठाया गया है जब उत्तर भारत के कई हिस्से लगातार हो रही भारी बारिश से जूझ रहे हैं और प्रमुख नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है.
यह चेतावनी सिर्फ एक औपचारिक सूचना नहीं थी, बल्कि एक संवेदनशील और मानवीय पहल थी, जिसे भारत सरकार ने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर भेजा है.
उत्तरी भारत में भारी बारिश और बाढ़ की आशंका
उत्तर भारत के कई राज्य जैसे कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर इन दिनों भारी मानसूनी बारिश के चलते संकट का सामना कर रहे हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही तेज बारिश के कारण प्रमुख बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ना पड़ा, जिससे नदियों का जलस्तर खतरनाक सीमा तक पहुंच गया है.
विशेष रूप से सतलुज, व्यास और रावी जैसी नदियां, जो भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए जल जीवनरेखा का काम करती हैं, अब उफान पर हैं. इन नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में हो रही भारी वर्षा ने उनके प्रवाह को असामान्य रूप से बढ़ा दिया है, जिससे नीचे की ओर बसे इलाकों में बाढ़ आने की आशंका और बढ़ गई है.
भारत की पाकिस्तान को चेतावनी
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने सतलुज नदी में संभावित बाढ़ को लेकर विदेश मंत्रालय के माध्यम से पाकिस्तान को एक आधिकारिक चेतावनी भेजी है. यह चेतावनी विशेष रूप से मानवीय आधार पर दी गई है ताकि समय रहते पाकिस्तान प्रशासन अपने लोगों को बचाव के लिए तैयार कर सके.
गौर करने वाली बात यह है कि भारत ने यह चेतावनी उस समय भेजी है, जब सिंधु जल संधि के तहत दोनों देशों के बीच जल डेटा का आदान-प्रदान स्थगित किया जा चुका है. इसकी वजह अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को माना जा रहा है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी.
लेकिन इसके बावजूद, भारत ने मानवता को प्राथमिकता दी और संभावित प्राकृतिक आपदा के बारे में पाकिस्तान को पहले ही सूचित किया, जिससे वहां के प्रशासन को तैयारी का मौका मिल सके.
पाकिस्तान के पंजाब में बाढ़ का कहर
जहां एक तरफ भारत बाढ़ के खतरे को लेकर अलर्ट जारी कर रहा है, वहीं पाकिस्तान का पंजाब प्रांत पहले से ही बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है. पाकिस्तान के पंजाब के उपजाऊ इलाके, जो वहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, दशकों की सबसे बड़ी बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं.
लोगों के घर बह गए हैं, खेत बर्बाद हो गए हैं, मवेशी डूब गए हैं और अब लोग अपनी जिंदगी दोबारा खड़ी करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. दुखद यह है कि स्थानीय लोग पाकिस्तान सरकार की निष्क्रियता और मदद न मिलने की शिकायत कर रहे हैं.
भारत की ओर से समय रहते भेजी गई चेतावनी इस परिप्रेक्ष्य में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. यह चेतावनी सिर्फ संभावित नुकसान को टालने का प्रयास नहीं है, बल्कि पड़ोसी देश के नागरिकों की जान बचाने की नैतिक जिम्मेदारी भी दर्शाती है.
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