Independence Day 2025: भारत आज जब 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, तो यह सिर्फ इतिहास का उत्सव नहीं, बल्कि भविष्य की नींव का निर्माण भी है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित किया. उनका भाषण इस बार सिर्फ गौरवगाथा नहीं था, बल्कि यह आने वाले भारत की दिशा का रोडमैप था, एक आत्मनिर्भर, पर्यावरण-संवेदनशील और तकनीकी रूप से सशक्त भारत की झलक.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा और जल नीति जैसे मुद्दों पर दो टूक राय रखी, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, जलवायु परिवर्तन से लड़ने की रणनीति और समुद्री संसाधनों के दोहन की दिशा में भी अहम घोषणाएं कीं.
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा पर निर्भरता कम करने का लक्ष्य हासिल
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने जो लक्ष्य 2030 तक क्लीन एनर्जी के उपयोग को 50% तक पहुंचाने का रखा था, उसे देशवासियों के प्रयासों से 2025 में ही प्राप्त कर लिया गया. यह एक असाधारण उपलब्धि है, जो न केवल भारत की पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी को दर्शाती है, बल्कि उसकी वैश्विक नेतृत्व क्षमता को भी रेखांकित करती है.
पीएम मोदी ने कहा, "प्रकृति के प्रति हम भारतीय सदैव उत्तरदायी रहे हैं. अगर हमने ऊर्जा के लिए बाहर पर निर्भरता कम कर दी होती, तो वह धन देश के विकास, गांवों की तरक्की और युवाओं की शक्ति को बढ़ाने में लगता,"
डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन की घोषणा
भारत अब समुद्र की गहराइयों में छुपे खजानों को तलाशने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री ने "डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन" का ऐलान करते हुए कहा कि यह मिशन भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर होगा.
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आज की वैश्विक चुनौतियों में एक बड़ा नाम है, क्रिटिकल मिनरल्स. रक्षा, तकनीक और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में इन खनिजों की भूमिका निर्णायक होती जा रही है. इसके लिए सरकार ने नेशनल क्रिटिकल मिशन शुरू किया है, जिसमें 1200 से अधिक स्थानों पर खोज की जा रही है. पीएम मोदी ने कहा, "हम क्रिटिकल मिनरल्स के मामले में भी आत्मनिर्भर बनने की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं."
एक विकसित भारत का विज़न
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण स्पष्ट संकेत देता है कि भारत अब केवल समस्याओं को गिनाने तक सीमित नहीं है, वह समाधानों की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है. जलवायु, ऊर्जा, रक्षा और तकनीक जैसे क्षेत्रों में उठाए जा रहे ये कदम भारत को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाएंगे, बल्कि एक वैश्विक लीडरशिप रोल के लिए भी तैयार कर रहे हैं.
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