गाज़ा: इज़राइल और हमास के बीच लंबे समय से जारी युद्ध अब गाज़ा के नागरिकों के लिए जानलेवा संकट में तब्दील हो चुका है. संयुक्त राष्ट्र (UN) की ताज़ा रिपोर्ट ने एक डरावनी सच्चाई उजागर की है. गाज़ा में अब एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं बचा है जो भुखमरी के खतरे से बाहर हो. स्थिति इतनी भयावह है कि लोग भोजन के लिए एक-दूसरे पर टूट पड़ रहे हैं.
गाज़ा में हर कोई भूखा है- UN
संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता कार्यालय (OCHA) के प्रवक्ता जेन्स लाएर्के ने शुक्रवार, 30 मई 2025 को कहा, "गाज़ा अब धरती का ऐसा इलाका बन चुका है जहां हर एक व्यक्ति अकाल के खतरे में है. यहां भूख अब मानवता की सबसे कड़वी सच्चाई बन चुकी है."
भूखे लोगों की भीड़ ने तोड़े गेट, मच गया हंगामा
गाज़ा के दक्षिणी शहर राफा में मंगलवार को खाना लेने जुटी भीड़ बेकाबू हो गई. हालात इतने बिगड़े कि वहां हवा में गोलियां चलानी पड़ीं. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, यह भगदड़ उस समय शुरू हुई जब इज़रायली सैनिकों ने चेतावनी स्वरूप फायरिंग की.
इस दौरान कई फूड सेंटर खोले जा रहे थे, लेकिन भीड़ इतनी बड़ी थी कि व्यवस्थाएं बिखर गईं. कुछ लोगों ने गेट तोड़ डाले, जबकि 50 से ज्यादा लोग कथित रूप से घायल हो गए.
हमले में 44 की मौत, दो को गोली मारी गई
इज़रायल ने 29 मई को दावा किया कि उसने गाज़ा में दर्जनों आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. हालांकि, स्थानीय डॉक्टरों की मानें तो इस कार्रवाई में कम से कम 44 लोग मारे गए, जिनमें आम नागरिक भी शामिल थे.
इसी दौरान दो लोगों को गोली मारने की घटनाएं भी सामने आईं, जिससे इलाके में डर और अफरा-तफरी फैल गई.
अकाल के लिए बनी योजना, बढ़ा रही है समस्या?
गाज़ा में अमेरिकी और इज़रायली समर्थन से बनाए गए फूड सेंटर GHF मॉडल पर भी सवाल उठने लगे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी जोनाथन व्हिटल ने कहा, "GHF जैसी योजनाएं भूख को मिटाने के बजाय, स्थिति को और जटिल बना रही हैं. ये सेंटर 2.1 मिलियन लोगों की जरूरतें पूरी करने में सक्षम नहीं हैं."
गौरतलब है कि इज़रायल ने 2 मार्च 2025 को गाज़ा की पूरी नाकाबंदी कर दी थी, और उसके कुछ सप्ताह बाद एक बार फिर सैन्य कार्रवाई तेज कर दी गई.
54,000 से ज्यादा मौतें, जारी है संघर्ष
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस जंग में अब तक 54,000 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. हालांकि, युद्ध के इस अंधकार में सीजफायर की हल्की सी उम्मीद अभी बाकी है.
व्हाइट हाउस ने जानकारी दी कि इज़रायल ने 60 दिन के संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई वाले नए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. लेकिन हमास ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, यह कहते हुए कि स्थायी सीजफायर और सैनिकों की वापसी की गारंटी इसमें नहीं थी.
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