पाकिस्तान सपने में भी नहीं भुलेगा भारत के टैक्टिकल ड्रोन की मार, इन 3 देशों के पास है बनाने की तकनीक

    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने अपनी सैन्य रणनीति और तकनीकी प्रगति का जो प्रदर्शन किया, उसने यह स्पष्ट कर दिया कि अब भारत केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि प्रोएक्टिव और प्रिसिजन अटैक क्षमता से लैस है.

    How powerful are Indias tactical drones compared to Israel
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने अपनी सैन्य रणनीति और तकनीकी प्रगति का जो प्रदर्शन किया, उसने यह स्पष्ट कर दिया कि अब भारत केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि प्रोएक्टिव और प्रिसिजन अटैक क्षमता से लैस है. इस अभियान में भारतीय टैक्टिकल ड्रोन की भूमिका बेहद निर्णायक रही, जिन्होंने न सिर्फ आतंकवादी ठिकानों की पहचान की, बल्कि उन्हें सटीकता से खत्म भी किया.

    आज के बदलते युद्ध परिदृश्य में, टैक्टिकल ड्रोन किसी भी देश की फर्स्ट लाइन ऑफ रेस्पॉन्स बन चुके हैं और भारत इस क्षेत्र में अब तुर्की और इजरायल जैसे देशों की बराबरी करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.

    टैक्टिकल ड्रोन: आधुनिक युद्ध का नया चेहरा

    टैक्टिकल ड्रोन वे मध्यम दूरी के यूएवी होते हैं, जिनका उपयोग मुख्यतः युद्धक्षेत्र की निगरानी, टारगेटिंग, हमले और डेटा इंटेलिजेंस के लिए किया जाता है. ये स्ट्रैटेजिक ड्रोन से हल्के होते हैं, तेज़ गति से तैनात किए जा सकते हैं और सीमित मिशनों के लिए आदर्श माने जाते हैं.

    इनकी विशेषताएं:

    • तुरंत उड़ान और लक्ष्य तक पहुंच
    • सीमित लेकिन सटीक हथियार क्षमता
    • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और कम्युनिकेशन इंटरसेप्शन
    • मुश्किल इलाकों में भी मिशन पूरा करने की योग्यता

    इजरायल: ड्रोन टेक्नोलॉजी का लीडर

    इजरायल दशकों से इस क्षेत्र में अग्रणी रहा है.

    • Heron और Searcher जैसे यूएवी भारत भी वर्षों से प्रयोग करता रहा है.
    • Elbit Hermes 900 जैसे ड्रोन्स में मल्टी-मिशन क्षमताएं हैं — जो खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के साथ-साथ लक्ष्य पर हमला करने में भी सक्षम हैं.
    • SkyStriker, एक Loitering Munition ड्रोन, दुश्मन के क्षेत्र में उड़ता है और ज़रूरत पड़ने पर आत्मघाती हमला कर सकता है.

    इजरायल की IDF की Drone Corps दुनिया की सबसे एडवांस्ड यूनिट्स में मानी जाती है. गाज़ा, ईरान और सीरिया में इसके उपयोग के परिणाम सामने हैं.

    तुर्की: नए खिलाड़ी के तौर पर एंट्री

    तुर्की ने बेहद कम समय में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग में लंबी छलांग लगाई है:

    • Bayraktar TB2: इसने लीबिया, सीरिया, यूक्रेन में युद्ध का रुख बदला.
    • ANKA-S: एक मिड-रेंज टैक्टिकल ड्रोन जो सैटेलाइट कंट्रोल और इलेक्ट्रॉनिक जामिंग में सक्षम है.
    • Kargu-2: स्वायत्तता से हमला करने में सक्षम माइक्रो ड्रोन, जो सैनिकों पर केंद्रित है.

    तुर्की के ड्रोन कम लागत में अत्यधिक प्रभावी माने जाते हैं, इसीलिए यूक्रेन से लेकर अफ्रीका तक उनकी डिमांड है.

    भारत: आत्मनिर्भरता की ओर सशक्त कदम

    भारत ने अपनी ड्रोन क्षमता का निर्माण पहले इजरायल के साथ साझेदारी से शुरू किया था, लेकिन अब ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रमों ने इसे नया आयाम दिया है.

    भारत के प्रमुख टैक्टिकल ड्रोन:

    • Rustom-II / TAPAS BH-201: DRDO द्वारा विकसित यह मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन भविष्य में हथियारबंद किया जाएगा.
    • Switch UAV: IdeaForge द्वारा निर्मित यह पोर्टेबल ड्रोन पहाड़ी क्षेत्रों में सेना के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ है.
    • Arjun, Netra: शहरी ऑपरेशनों, सीमा निगरानी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात.

    इनमें से कई को LAC और LoC जैसे संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है, और इनकी सफलता ने पाकिस्तान और चीन को चिंता में डाल दिया है.

    कहां पीछे है भारत, और क्या है अगला कदम?

    भारत के टैक्टिकल ड्रोन अभी भी स्वायत्त हमला, उच्च डेटा इंटीग्रेशन और लॉन्ग रेंज इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में तुलनात्मक रूप से थोड़ा पीछे हैं. मगर अब भारत:

    • MQ-9B SeaGuardian (अमेरिका)
    • और Heron TP (इजरायल)

    जैसे एडवांस ड्रोन पर रणनीतिक सहयोग के तहत हाइब्रिड मॉडल विकसित कर रहा है.

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