अहमदाबाद से केमिकल, फरीदाबाद से विस्फोटक... सुरक्षा एजेंसियों ने कैसे किया आतंकी साजिश का भंडाफोड़?

    भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर अपनी मुस्तैदी से देश में होने वाली दो बड़ी आतंकी साजिशों को विफल कर दिया है.

    How security agencies busted the terrorist plot
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    भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर अपनी मुस्तैदी से देश में होने वाली दो बड़ी आतंकी साजिशों को विफल कर दिया है. गुजरात में रासायनिक हमले की योजना बनाने वाले तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि हरियाणा के फरीदाबाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट और हथियारों का जखीरा बरामद किया है. दोनों ही मामलों ने यह साफ कर दिया है कि आतंकी संगठनों की नजर देश के बड़े शहरों पर है, लेकिन एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई से संभावित तबाही को टाला जा सका.

    गुजरात एटीएस ने नाकाम की हमले की साजिश

    गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने रविवार को तीन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है, जो देश में राइसिन (Ricin) के जरिए केमिकल अटैक की तैयारी में जुटे थे. यह वही रसायन है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे खतरनाक विषैले पदार्थों में गिना जाता है. राइसिन अरंडी के बीज से निकले अवशेषों से तैयार होता है और कुछ मिलीग्राम मात्रा भी इंसान की जान ले सकती है.

    एटीएस के मुताबिक, आरोपियों की पहचान इस प्रकार है:

    • डॉ. अहमद मोहियुद्दीन सैयद (35 वर्ष) – हैदराबाद निवासी, जिसने चीन से एमबीबीएस किया है.
    • आजाद सुलेमान शेख (20 वर्ष) – उत्तर प्रदेश के शामली का रहने वाला.
    • सुहैल मोहम्मद सलीम खान (23 वर्ष) – उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का निवासी.

    एटीएस ने इनके पास से तीन पिस्टल, 30 कारतूस और चार लीटर अरंडी का तेल बरामद किया. जांच में खुलासा हुआ कि यह तेल राइसिन तैयार करने के प्रयोगों में उपयोग किया जा रहा था.

    खुफिया जानकारी पर हुई अहम कार्रवाई

    गुजरात एटीएस के डीआईजी सुनील जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि डिप्टी एसपी एल. चौधरी को अहमद मोहियुद्दीन सैयद के भारत में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की सूचना मिली थी. इसके बाद एक टीम ने अहमदाबाद-मेहसाणा रोड पर अदलाज टोल प्लाजा के पास जाल बिछाया और आरोपी को कार समेत गिरफ्तार कर लिया. तलाशी में हथियार और रासायनिक सामग्री बरामद हुई.

    पूछताछ में सैयद ने कबूल किया कि वह अफगानिस्तान के आतंकी अबु खदीजा से संपर्क में था, जो इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) के नेटवर्क से जुड़ा है. उसने पाकिस्तान में बैठे हैंडलरों से भी बात की थी.

    सैयद के फोन की जांच में सामने आया कि उसके संपर्क में दो अन्य युवक- आजाद शेख और सुहैल खान भी थे, जिन्हें बाद में यूपी से पकड़ा गया. तीनों ने दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद में रेकी की थी और संवेदनशील स्थानों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी.

    राइसिन क्या है और क्यों है इतना खतरनाक?

    राइसिन एक अत्यंत घातक रासायनिक विष है, जो साइनाइड से भी हजारों गुना अधिक जहरीला माना जाता है. यह शरीर में प्रवेश करने के बाद कोशिकाओं में प्रोटीन सिंथेसिस को रोक देता है, जिससे अंग काम करना बंद कर देते हैं. इसकी कोई दवा या एंटीडोट नहीं है. दुनिया के कई देशों में इसे जैविक हथियार की श्रेणी में रखा गया है.

    एटीएस का कहना है कि आरोपी इस रसायन को तैयार करने के प्रयोग कर रहे थे और इसका उपयोग भीड़भाड़ वाले इलाकों में फैलाने की योजना बना रहे थे.

    फरीदाबाद में 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद

    दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा के फरीदाबाद के धौज क्षेत्र में छापेमारी कर भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया है. पुलिस टीम ने 350 किलो अमोनियम नाइट्रेट, 2 ऑटोमैटिक पिस्टल, 84 कारतूस, 5 लीटर केमिकल और एक AK-47 राइफल जब्त की है.

    यह कार्रवाई सहारनपुर से गिरफ्तार डॉ. आदिल अहमद राठर की पूछताछ के बाद की गई. आदिल की निशानदेही पर पुलिस ने उसके साथी डॉ. मुजम्मिल शकील (पुलवामा निवासी) के फरीदाबाद स्थित किराये के घर पर छापा मारा, जहां से यह विस्फोटक सामग्री मिली.

    जांच एजेंसियों का कहना है कि यह बरामदगी हाल के वर्षों में सबसे बड़ी मात्रा में विस्फोटक की जब्ती है और इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर आतंकी हमले में किया जा सकता था.

    डॉक्टरों का आतंक से जुड़ाव बना चिंता का विषय

    इन दोनों मामलों में एक समानता यह है कि आरोपियों की पृष्ठभूमि मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी है. गुजरात में गिरफ्तार डॉ. सैयद ने चीन से मेडिकल डिग्री ली थी, जबकि फरीदाबाद केस में शामिल आदिल राठर और मुजम्मिल शकील दोनों प्रशिक्षित डॉक्टर हैं. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, आतंकवादी संगठन शिक्षित युवाओं को साइंस और मेडिकल ज्ञान का उपयोग हथियार और केमिकल बनाने में करा रहे हैं.

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