सना: यमन में हालिया इजरायली हवाई हमलों में यमनी प्रधानमंत्री अहमद अल-रहवी की मौत हो गई है. यह जानकारी हूती विद्रोहियों द्वारा दी गई है. हूतियों ने इस हमले में कई अन्य मंत्रियों के भी मारे जाने की पुष्टि की है. सना के हूती नियंत्रित टीवी चैनल पर प्रसारित एक बयान में राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि इजरायली हमलावरों ने सरकार की कार्यशाला के दौरान प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं को निशाना बनाया था. यह घटना न केवल यमन के लिए एक बड़ी क्षति है, बल्कि इसे एक संवेदनशील अंतरराष्ट्रीय मसला भी माना जा रहा है, क्योंकि इजरायल ने इस हमले पर चुप्पी साधी हुई है, और इसके खिलाफ अलग-अलग दावे भी सामने आ रहे हैं.
इजरायली हमले में प्रधानमंत्री और कई मंत्री मारे गए
इजरायली हवाई हमलों के बाद, हूतियों ने स्पष्ट किया कि इन हमलों का लक्ष्य सरकार की गतिविधियों और प्रदर्शन के मूल्यांकन के दौरान प्रधानमंत्री अहमद अल-रहवी और कई मंत्रियों को मारना था. यह हमलावर हमला सना में हुआ, जहां प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी एक अपार्टमेंट में मौजूद थे. यमन के कुछ मीडिया आउटलेट्स ने पहले ही इस हमले की खबर दी थी और बताया था कि अल-रहवी और उनके कुछ सहयोगी इस हमले में मारे गए हैं.
इस बीच, इजरायली सेना (आईडीएफ) ने पुष्टि की कि उनकी वायु सेना ने सना के पास स्थित एक हूती सैन्य अड्डे पर हमला किया था. हालांकि, इजरायल की सेना ने प्रधानमंत्री और मंत्रियों के मारे जाने की खबर पर कोई पुष्टि नहीं की. यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस हमले से पहले इजरायल ने दो ड्रोन को रोकने का दावा किया था, जो हूतियों द्वारा लॉन्च किए गए थे.
इजरायल ने हमला क्यों किया?
इजरायली रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह हमला इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके अन्य शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ मिलकर स्वीकृत किया गया था. यह संकेत देता है कि यह हमला हूती समूह के उच्च पदस्थ नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया गया था. इससे पहले कुछ इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि यह हमला ईरान समर्थित हूती नेताओं को विशेष रूप से निशाना बनाने के लिए किया गया था.
इस हमले का उद्देश्य हूती समूह के ताकतवर नेताओं को कमजोर करना और यमन में इजरायल के खिलाफ किसी भी आक्रमण को रोकना बताया गया था. इजरायली सेना ने इस कार्रवाई को अपनी सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण और आवश्यक बताया, लेकिन हूतियों ने इसे पूरी तरह से नकारते हुए इसे नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमला करार दिया.
हूतियों ने इजरायली दावों को खारिज किया
हूती विद्रोहियों ने इजरायल के इस हमले के बाद अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए इजरायल पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना था कि इजरायल ने केवल सैन्य लक्ष्यों को नहीं बल्कि यमन के नागरिक बुनियादी ढांचे को भी निशाना बनाया है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है. हूतियों ने इस कार्रवाई को "युद्ध अपराध" घोषित किया और इजरायल के इस हमले की कड़ी निंदा की.
यमन के सार्वजनिक स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय ने भी इस हमले को युद्ध अपराध बताते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की धमकी दी. इसके बाद, हूतियों ने हाल ही में दक्षिणी इजरायल पर मिसाइल दागने की जिम्मेदारी भी ली थी, लेकिन इजरायली रक्षा बलों ने इसे विफल कर दिया था.
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