ट्रंप को हिज़बुल्लाह ने दिखाया ठेंगा! लेबनान में गृहयुद्ध जैसे हालात, जानें क्या है पूरा मामला

    Hezbollah: लेबनान में एक बार फिर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. इज़राइल और अमेरिका के दबाव में आकर लेबनानी संसद द्वारा हिज़बुल्लाह के निरस्त्रीकरण का कानून पास करने के बाद देश की राजनीतिक ज़मीन खौलने लगी है.

    Hezbollah snubs Trump Situation like civil war in Lebanon know what is the whole matter
    Image Source: Social Media/ X

    Hezbollah: लेबनान में एक बार फिर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. इज़राइल और अमेरिका के दबाव में आकर लेबनानी संसद द्वारा हिज़बुल्लाह के निरस्त्रीकरण का कानून पास करने के बाद देश की राजनीतिक ज़मीन खौलने लगी है. यह फैसला जहां सरकार के लिए एक ‘राजनयिक संतुलन’ का प्रयास बताया जा रहा है, वहीं हिज़बुल्लाह और उसके समर्थकों ने इसे आत्मघाती कदम करार दिया है.

    हिज़बुल्लाह के संसदीय गुट ‘लॉयल्टी टू द रेजिस्टेंस’ के प्रमुख मोहम्मद राद ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह फैसला न केवल हिज़बुल्लाह के सम्मान पर आघात है, बल्कि देश की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ है. उन्होंने दो टूक कहा, “हथियार छोड़ना मतलब अपना सम्मान गिरवी रखना. ये आत्महत्या है और हम ऐसा कभी नहीं करेंगे.”

    देश में तनाव, सड़कों पर समर्थकों की रैलियां

    लेबनान की सड़कों पर हिज़बुल्लाह समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. जगह-जगह रैलियों और नारों के बीच हालात बिगड़ते दिख रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये टकराव जल्द नहीं थमा, तो देश एक बार फिर गृह युद्ध की आग में झुलस सकता है.

    “सरकार शासन कर सकती है, लेकिन दुश्मनों का सामना नहीं”

    मोहम्मद राद ने सरकार की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल प्रशासन चलाना ही काफी नहीं है. “जिस शक्ति ने 1982 से लेकर 2025 तक लेबनान की रक्षा की, उसे कमजोर करना देश को असुरक्षित करने जैसा है.” उन्होंने अमेरिका और इज़राइल पर लेबनान की आंतरिक स्थिरता में हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाया.

    क्या यह केवल एक सुरक्षा मामला है या राजनीतिक चाल?

    यह सवाल अब तेजी से उठ रहा है कि क्या हिज़बुल्लाह को निरस्त्र करना केवल देश की सुरक्षा नीति का हिस्सा है, या इसके पीछे कोई बड़ी अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक योजना है? राद का मानना है कि इस फैसले से दुश्मनों को फायदा होगा और यह आंतरिक अस्थिरता का रास्ता खोल सकता है.

    यह भी पढ़ें- तुर्की, चीन-पाकिस्तान की उड़ी नींद! फिलीपींस के बाद ब्रह्मोस का फैन हुआ ये देश, एशिया में दबदबा कायम