Google और Meta पर ED का कसेगा शिकंजा! इस मामले में पूछताछ के भेजा नोटिस

    देश की दो सबसे बड़ी डिजिटल कंपनियां, गूगल और मेटा, अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गंभीर जांच के घेरे में आ गई हैं. मामला है गैरकानूनी बैटिंग ऐप्स को अपने प्लेटफॉर्म पर बढ़ावा देने और प्रचार करने का, जिससे करोड़ों रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला कारोबार को अंजाम दिया गया.

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    Image Source: Meta AI

    Illegal Betting Apps: देश की दो सबसे बड़ी डिजिटल कंपनियां, गूगल और मेटा, अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गंभीर जांच के घेरे में आ गई हैं. मामला है गैरकानूनी बैटिंग ऐप्स को अपने प्लेटफॉर्म पर बढ़ावा देने और प्रचार करने का, जिससे करोड़ों रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला कारोबार को अंजाम दिया गया. ED ने इस सिलसिले में दोनों कंपनियों को आधिकारिक नोटिस जारी कर दिया है और 21 जुलाई को पूछताछ के लिए उनके प्रतिनिधियों को तलब किया है.

    गंभीर वित्तीय अपराधों में बढ़ती डिजिटल भूमिका

    जांच एजेंसी का मानना है कि गूगल और मेटा की ओर से इन ऑनलाइन बैटिंग ऐप्स को प्रोमोट करने और विज्ञापन देने की वजह से ही ये प्लेटफॉर्म आम जनता तक इतनी तेजी से पहुंचे. ईडी के सूत्रों के मुताबिक, यह सिर्फ ऑनलाइन सट्टेबाज़ी का मामला नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी मनी ट्रेल देश की अर्थव्यवस्था और डिजिटल पारदर्शिता पर भी सीधा असर डाल रही है.

    सिर्फ कंपनियां नहीं, सितारे भी जांच के घेरे में

    गूगल और मेटा के अलावा 29 सेलिब्रिटीज़ और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स पर भी शिकंजा कस चुका है. इन पर गैरकानूनी बैटिंग ऐप्स को प्रमोट करने का आरोप है. इस सूची में प्रकाश राज, राणा दग्गुबाती और विजय देवरकोंडा जैसे चर्चित नाम शामिल हैं. इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने करोड़ों की फीस लेकर सट्टा ऐप्स का प्रचार किया और देश के युवाओं को इस अवैध जाल में फंसाने में अहम भूमिका निभाई.

    महादेव ऐप से लेकर फेयरप्ले तक

    यह पहली बार नहीं है जब ऑनलाइन बैटिंग ऐप्स को लेकर ED ने इतनी बड़ी कार्रवाई की हो. इससे पहले चर्चित महादेव ऐप स्कैम में भी एजेंसी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने ऐप के प्रमोटर्स से 500 करोड़ रुपये लिए थे. इस घोटाले में 6000 करोड़ रुपये से अधिक के हवाला लेन-देन की बात सामने आई थी. इसके अलावा फेयरप्ले IPL बैटिंग ऐप से जुड़े मामले में भी जांच अभी जारी है.

    क्या होगा अगला कदम?

    अब सबकी निगाहें 21 जुलाई पर टिकी हैं, जब गूगल और मेटा के वरिष्ठ अधिकारियों से ईडी पूछताछ करेगी. इस पूछताछ के बाद यह तय होगा कि क्या कंपनियों की जवाबदेही सिर्फ 'विज्ञापन दिखाने' तक सीमित थी या वह जानबूझकर अवैध आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की साजिश का हिस्सा थीं. देश की डिजिटल दुनिया में यह मामला एक नज़ीर बन सकता है कि तकनीकी कंपनियों की सामाजिक और कानूनी ज़िम्मेदारियां क्या हैं, और यदि वे इससे पीछे हटती हैं तो उन्हें कानूनी सख्ती का सामना कैसे करना पड़ सकता है.

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