कमाई से नहीं होता था गुजारा तो शुरू किया ये काला धंधा.. पुलिस को ऐसे देते थे चकमा, अब हो गया भंडाफोड़

    Ghaziabad News: गाजियाबाद पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. क्राइम ब्रांच और वेव सिटी थाना पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में लग्ज़री गाड़ियों की चोरी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.

    Ghaziabad police busted an interstate gang involved in vehicle theft
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    Ghaziabad News: गाजियाबाद पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. क्राइम ब्रांच और वेव सिटी थाना पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में लग्ज़री गाड़ियों की चोरी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इनके कब्जे से पांच लग्ज़री कारें बरामद की हैं, जिनमें मारुति स्विफ्ट, स्विफ्ट डिज़ायर, बलैनो और दो वैगन-आर शामिल हैं. ये सभी गाड़ियां अलग-अलग शहरों से चुराई गई थीं और इनकी पहचान पुलिस की सतर्क निगरानी और तकनीकी विश्लेषण से संभव हो पाई. गिरफ्तार अभियुक्तों में अनिल, जितेन्द्र उर्फ कन्हैया और यामीन उर्फ भोलू उर्फ काला शामिल हैं. 

    जेल में हुई चोरों की दोस्ती

    पूछताछ में सामने आया है कि इनका आपराधिक सफर अलग-अलग जेलों से शुरू होकर एक संगठित नेटवर्क में तब्दील हो गया. अनिल, जो मात्र 8वीं पास है, पहले सब्ज़ी बेचने का काम करता था. 2015 में एक मैकेनिक के संपर्क में आकर मोटरसाइकिल चोरी से अपने अपराध की शुरुआत की. जेल में उसे बसंत कुंज दिल्ली के कुख्यात कार चोर करन से मुलाकात हुई, जिसके साथ मिलकर उसने कार चोरी शुरू की.

    जेल से बाहर आने के बाद अनिल की मुलाकात अलीगढ़ जेल में लविश उर्फ शेरू से हुई. दोनों ने मिलकर एक नया गैंग खड़ा कर दिया. इस गैंग में जितेन्द्र, यामीन और जाहिद जैसे अपराधी भी शामिल हो गए. जितेन्द्र, जो सातवीं कक्षा तक ही पढ़ पाया, ट्रक ड्राइवरी से होते हुए अपराध की दुनिया में आया. गाजियाबाद में काम करते वक्त अनिल के संपर्क में आया और धीरे-धीरे कार चोरी में लिप्त हो गया. यामीन, जो पांचवीं फेल है, तार और ट्रैक्टर चोरी जैसे अपराधों में पहले से संलिप्त था. 2019 में जेल में कार चोरों से संपर्क हुआ और फिर वह भी इस गैंग का हिस्सा बन गया.

    एक गाड़ी बेचने पर मिलते थे 40-50 हजार

    पुलिस की मानें तो यह गिरोह पूरी योजना और सावधानी से काम करता था. चोरी से पहले गाड़ियों की डिमांड जाहिद नामक सदस्य द्वारा बताई जाती थी, जिसके पास खुद का गैराज है. एक गाड़ी चोरी कर बेचने पर इन्हें ₹40,000 से ₹50,000 तक मिलते थे. पहचान छुपाने के लिए चोर फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल करते थे और मोबाइल को फ्लाइट मोड में रखकर व्हाट्सएप कॉल और मैसेज के जरिए आपस में संपर्क करते थे.

    अभी भी फरार हैं गैंग के कुछ सदस्य

    हालांकि पुलिस ने गिरोह के तीन मुख्य सदस्यों को पकड़ लिया है, लेकिन लविश उर्फ शेरू और जाहिद जैसे सक्रिय सदस्य अभी फरार हैं. पुलिस की टीमें उनकी तलाश में दबिश दे रही हैं. गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि जल्द ही पूरे गैंग का नेटवर्क ध्वस्त कर दिया जाएगा.

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