'देश का पॉलिटिकल सिस्टम टूट गया, मैं ठीक नहीं कर सकती...' कमला हैरिस ने किया राजनीति छोड़ने का ऐलान

    अमेरिका की पूर्व उपराष्ट्रपति और पहली महिला अश्वेत उपराष्ट्रपति बनने वाली कमला हैरिस ने सार्वजनिक जीवन का एक बड़ा मोड़ लेते हुए राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है.

    Former Vice President Kamala Harris announced to leave politics
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    वाशिंगटन डीसी: अमेरिका की पूर्व उपराष्ट्रपति और पहली महिला अश्वेत उपराष्ट्रपति बनने वाली कमला हैरिस ने सार्वजनिक जीवन का एक बड़ा मोड़ लेते हुए राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. मशहूर टॉक शो ‘द लेट शो विद स्टीफन कोलबर्ट’ में एक बेहद भावुक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे अब किसी भी राजनीतिक पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगी, न राष्ट्रपति, न गवर्नर, न सीनेट.

    कमला हैरिस ने कहा, "मुझे अब लगता है कि इस देश की राजनीतिक व्यवस्था टूट चुकी है. और मैं इसे सुधारने की स्थिति में नहीं हूं."

    राजनीति में आखिरी अध्याय: आत्ममंथन और आत्मसम्मान

    कमला हैरिस ने हाल ही में संपन्न हुए 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा था. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें निर्णायक हार का सामना करना पड़ा, ट्रंप को इलेक्टोरल कॉलेज में 312 वोट मिले, जबकि हैरिस सिर्फ 226 वोटों तक सिमट गईं. इस हार के बाद ही उन्होंने राजनीति से दूरी बनाने के संकेत देने शुरू कर दिए थे, लेकिन अब उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार कर लिया है.

    उन्होंने कहा कि 2024 का चुनाव उनके लिए सिर्फ एक राजनीतिक परीक्षा नहीं थी, बल्कि एक व्यक्तिगत संघर्ष भी था- आत्मसम्मान, उम्मीद और आत्मबल को बचाए रखने का संघर्ष.

    107 डेज: हार नहीं, आत्ममंथन की किताब

    कमला हैरिस ने अपनी आगामी किताब ‘107 डेज’ का भी ज़िक्र किया, जो 23 सितंबर को प्रकाशित होने वाली है. इस किताब में उन्होंने अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के 107 दिनों के भीतरू अनुभवों और संघर्षों को साझा किया है.

    जब कोलबर्ट ने उनसे पूछा कि इन 107 दिनों में उन्हें सबसे ज्यादा किस बात ने झकझोरा, तो कमला ने जवाब दिया, "हर रात सोने से पहले मैं प्रार्थना करती थी कि मैंने आज अपनी पूरी क्षमता से देश की सेवा की हो."

    उनके शब्दों में एक नेता नहीं, बल्कि एक थकी हुई नागरिक बोल रही थी, जो सिस्टम से लड़ते-लड़ते अंततः हार मानने को मजबूर हो गई.

    कैलिफोर्निया के गवर्नर पद पर भी विराम

    यह पूछे जाने पर कि क्या वे अब कैलिफोर्निया के गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ेंगी, कमला ने साफ कहा कि वे किसी भी राजनीतिक पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने राज्य से बेहद प्यार है, लेकिन अब उन्हें महसूस होता है कि सिस्टम में बदलाव लाने की उनकी व्यक्तिगत क्षमता क्षीण हो चुकी है.

    कमला की यह बात कई लोगों को हैरान कर सकती है, क्योंकि वे कैलिफोर्निया की राजनीति में एक शक्तिशाली और प्रभावशाली चेहरा रही हैं. लेकिन उनका आत्मस्वीकृत बदलाव, इस बात का प्रमाण है कि आधुनिक राजनीति में सिर्फ विचार और मेहनत काफी नहीं, बल्कि राजनीतिक संरचनाओं से जूझने की ताकत भी चाहिए और शायद वही अब उनके पास नहीं बची.

    विवादों से भरी, लेकिन विचारशील शुरुआत

    कमला हैरिस का सार्वजनिक जीवन 1990 में शुरू हुआ, जब उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में जिला अटॉर्नी के रूप में काम संभाला. शुरुआत से ही उन्होंने सुधारवादी नजरिया अपनाया, लेकिन इस अप्रोच के चलते कई बार विवादों में भी घिर गईं.

    2004 में जब एक अपराधी ने पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी, तो समाज का एक बड़ा वर्ग मौत की सजा की मांग कर रहा था. लेकिन कमला ने सरकारी वकील के तौर पर डेथ पेनल्टी की मांग नहीं की. यह फैसला उस वक्त पुलिस यूनियन और राजनीतिक हलकों में बेहद अलोकप्रिय रहा, लेकिन कमला ने इसे अपने सिद्धांतों के साथ एकजुटता बताया.

    उनका मानना था कि न्याय का असली उद्देश्य अपराध रोकना है, न कि सिर्फ दंड देना.

    सुधारों के एजेंडे पर था ज़ोर

    कमला हैरिस के कार्यकाल की सबसे अहम पहल ‘Back on Track’ कार्यक्रम था, जिसमें उन्होंने छोटे अपराध करने वालों को शिक्षा और प्रशिक्षण देकर मुख्यधारा में वापस लाने की कोशिश की. उन्होंने ट्रूएंसी (बच्चों के स्कूल न जाने) को अपराध की श्रेणी में रखा, और ऐसे माता-पिता के खिलाफ कार्रवाई शुरू की.

    हालांकि, इसके कारण उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी, खासतौर पर ब्लैक समुदाय की ओर से, जिनका मानना था कि इस नीति से वंचित वर्गों को disproportionately नुकसान हुआ. लेकिन हैरिस ने हमेशा अपने फैसलों को लॉन्ग टर्म सामाजिक सुधार की दृष्टि से सही ठहराया.

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