नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने कई अहम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की. चाहे बात अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर लगाए गए नए टैरिफ की हो, डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान के साथ तेल डील को लेकर किए गए दावों की, भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी की, रूस के साथ ऐतिहासिक रिश्तों की या फिर यमन में बंदी भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया के संवेदनशील मामले की सरकार ने प्रत्येक पहलू पर बेहद संयमित, संतुलित और सधे हुए स्वर में अपनी बात रखी.
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इन तमाम मुद्दों पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए यह साफ किया कि भारत किसी भी दबाव या उत्तेजना में आकर फैसले नहीं करता, बल्कि राष्ट्रीय हितों, रणनीतिक दृष्टिकोण और दीर्घकालिक साझेदारियों के आधार पर अपनी नीति तय करता है.
1. अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने पर भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिका द्वारा 7 अगस्त से भारत से निर्यात होने वाले कुछ उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाए जाने की घोषणा के बारे में पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा, "भारत सरकार ने इस पर अपना आधिकारिक बयान पहले ही जारी कर दिया है और हम उस पर कायम हैं."
इस बयान के जरिए यह संकेत दिया गया कि भारत इस कदम को हल्के में नहीं ले रहा है और इसकी समीक्षा कर रहा है. साथ ही सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि भारतीय निर्यातकों और उद्योगों के हितों की रक्षा हो.
2. ट्रंप की पाकिस्तान के साथ 'तेल डील' पर सरकार की चुप्पी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ट्रुथ सोशल पर दावा किया कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक साझेदारी पर काम चल रहा है, जिसके तहत पाकिस्तान के "विशाल तेल भंडार" को विकसित किया जाएगा और शायद वह भारत को भी तेल बेचे.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रवक्ता ने कहा, "इस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे."
हालांकि, इस "नो कमेंट" के पीछे भारत की रणनीति स्पष्ट थी, अनावश्यक बयानबाज़ी से बचना, लेकिन साथ ही घटनाक्रम पर सतर्क नज़र रखना.
3. भारत-अमेरिका रक्षा संबंध: F-35 पर फैसला जरूरतों से तय होगा
भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा और रक्षा साझेदारी पिछले एक दशक में अभूतपूर्व रूप से मजबूत हुई है. इस संबंध में पूछे गए प्रश्न पर जायसवाल ने कहा, "अमेरिका के साथ हमारी रक्षा साझेदारी कई स्तरों पर है, और यह समय के साथ मजबूत होती गई है. 21वीं सदी के भारत-अमेरिका रणनीतिक समझौते के अंतर्गत यह और विस्तार पा रही है."
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत अमेरिका से F-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदेगा, तो उन्होंने साफ किया, "हम हथियारों की खरीद अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों और रणनीतिक प्राथमिकताओं के आधार पर करते हैं."
यह बयान संकेत देता है कि भारत बिना किसी बाहरी दबाव के, पूर्ण स्वतंत्रता के साथ अपने रक्षा सौदों का आकलन करता है.
4. भारत-रूस संबंध: साझेदारी पर कोई असर नहीं
रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर पिछले कुछ वर्षों में पश्चिमी मीडिया और कुछ देशों द्वारा आशंकाएं व्यक्त की जाती रही हैं. लेकिन विदेश मंत्रालय ने फिर दोहराया, "भारत और रूस के संबंध स्थिर, बहुआयामी और समय-परीक्षित हैं. हम अपने सभी द्विपक्षीय रिश्तों को स्वतंत्र रूप से और अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर संचालित करते हैं."
भारत यह स्पष्ट कर रहा है कि वह तटस्थ कूटनीति में विश्वास रखता है और अपने फैसले किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं लेता.
5. निमिषा प्रिया केस: संवेदनशील मामला, अफवाहों से बचें
यमन की जेल में बंद भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई थी. इस मामले में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने हाल ही में दावा किया कि उनकी सजा माफ कर दी गई है या उनकी रिहाई के लिए कोई समझौता हो गया है.
इस पर विदेश मंत्रालय ने बहुत सख्ती और सावधानी के साथ कहा, "यह एक अत्यंत संवेदनशील और जटिल मामला है. भारत सरकार लगातार यमन के अधिकारियों से संपर्क में है और हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है. हमारी कोशिशों के चलते सजा की तामील को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है."
उन्होंने आगे जोड़ा, "कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सजा रद्द हो गई है या समझौता हो गया है, ये पूरी तरह गलत और भ्रामक हैं. हम मीडिया और नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि गैर-प्रमाणिक जानकारी से बचें और केवल आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें."
6. प्रतिबंधित भारतीय कंपनियों को लेकर सतर्कता
भारत की कुछ कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर भी प्रवक्ता ने कहा, "हमने इन प्रतिबंधों का गंभीरता से संज्ञान लिया है. इस मामले की समुचित समीक्षा की जा रही है और जहां जरूरी होगा, वहां उचित कूटनीतिक कार्रवाई भी की जाएगी."
7. ऊर्जा नीति पर भारत: बाजार और जरूरतों के अनुसार चलते हैं
पाकिस्तान, अमेरिका या रूस से तेल खरीदने जैसे तमाम मसलों के बीच भारत की ऊर्जा नीति पर भी प्रवक्ता से सवाल पूछा गया. जवाब में उन्होंने कहा, "भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में बाजार में उपलब्ध संसाधनों, आपूर्ति की सुरक्षा, कीमत और रणनीतिक साझेदारियों के आधार पर फैसले करता है."
इस बयान के जरिए यह स्पष्ट हो गया कि भारत किसी देश विशेष पर निर्भर नहीं है, बल्कि वह अपने लचीले ऊर्जा आपूर्ति नेटवर्क के जरिए वैश्विक परिस्थितियों का मूल्यांकन करता है.
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