नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) पर 7 नवंबर को हुई उड़ान व्यवधान की घटना का कारण अब सामने आया है. जांच में पता चला है कि विमानों के GPS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) सिग्नल में छेड़छाड़ की गई थी, जिससे पायलटों को रनवे की जगह खेत और अन्य नकली दृश्य दिखाई देने लगे.
सूत्रों के अनुसार, शाम करीब 7 बजे पायलटों की कॉकपिट स्क्रीन पर विमान की वास्तविक स्थिति बदल गई और GPS से फेक सिग्नल मिलने लगे. इसके बाद पायलटों ने ऑटोमैटिक सिस्टम की बजाय मैनुअल पोजिशनिंग का सहारा लिया.
इस घटना के कारण एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को भी विमानों की स्थिति में देरी से जानकारी मिली. कई उड़ानों को दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड कराने के बजाय जयपुर और आसपास के हवाई अड्डों की ओर डायवर्ट करना पड़ा. एयर स्पेस में विमानों के बीच दूरी बढ़ाकर किसी बड़े हादसे को टाला गया.
उड़ानों पर बड़ा असर
साइबर हमले की आशंका
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना फेक GPS सिग्नल ब्लास्ट की वजह से हुई. अमेरिका संचालित सिविलियन GPS सिग्नल खुला होता है और इसे नकली रूप में भेजा जा सकता है. वहीं, मिलिट्री GPS सिग्नल एन्क्रिप्टेड होने के कारण सुरक्षित रहते हैं.
DGCA के मुताबिक, देश में हाल के महीनों में 465 से ज्यादा GPS फेक सिग्नल की घटनाएं दर्ज हुई हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में विदेशी हैकर्स के शामिल होने की भी आशंका है.
स्वदेशी समाधान ‘नाविक’
इसरो द्वारा विकसित स्वदेशी सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम नाविक विमानन सुरक्षा बढ़ाने में मदद करेगा. अक्टूबर में इसके मानक तय किए गए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, यदि नाविक का उपयोग किया गया होता, तो दिल्ली एयरपोर्ट की हाल की घटना को रोका जा सकता था.
राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान
केंद्र सरकार ने घटना के बाद उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है. इसमें शामिल हैं:
जांच का मुख्य फोकस यह देखना है कि कहीं इसमें बाहरी ताकत या साइबर हमला शामिल तो नहीं था.
दिल्ली एयरपोर्ट पर GPS छेड़छाड़ से हुई इस घटना ने देशभर में विमानन सुरक्षा के सवाल खड़े कर दिए हैं. विशेषज्ञों ने चेताया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्वदेशी नेविगेशन और बेहतर साइबर सुरक्षा उपायों को अपनाना जरूरी है.
ये भी पढ़ें- फरीदाबाद के मेडिकल कॉलेज से 300kg RDX, दो AK-47 और कारतूस बरामद, हिरासत में लिया गया डॉक्टर अदील