'रूस से तेल खरीदते रहेंगे, यह हमारा फैसला है...' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ट्रंप को करारा जवाब

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच, भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को लेकर किसी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा.

    Finance Minister Nirmala Sitharaman befitting reply to Trump
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच, भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को लेकर किसी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगा, भले ही अमेरिका इस पर आपत्ति जताता रहे.

    यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका, खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में, भारत पर रूसी तेल के आयात को लेकर कड़े व्यापारिक प्रतिबंध और टैरिफ लगा रहा है. लेकिन भारत सरकार का रुख साफ है: "हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित के आधार पर फैसले लेंगे, न कि विदेशी दबाव में आकर."

    'तेल कहां से खरीदना है, यह हम तय करेंगे'

    न्यूज़18 को दिए एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की ऊर्जा रणनीति का निर्धारण उसकी आर्थिक और रणनीतिक प्राथमिकताओं के आधार पर होगा. उन्होंने कहा, "हम रूस से तेल खरीदना जारी रखेंगे. हमारे लिए यह एक आर्थिक और रणनीतिक फैसला है, जिसे हम अपनी जरूरतों के आधार पर करते हैं. इसमें तेल की कीमत, लॉजिस्टिक्स, भुगतान प्रणाली और अन्य कई कारकों की भूमिका होती है. यह पूरी तरह से राष्ट्रीय हित से जुड़ा मामला है, और इसमें किसी दूसरे देश की दखलंदाजी स्वीकार नहीं की जाएगी."

    कच्चे तेल का आयात भारत की सबसे बड़ी जरूरत

    भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयातित तेल से पूरा करता है. देश की कुल आयातित वस्तुओं में से सबसे ज्यादा खर्च कच्चे तेल के आयात पर होता है. इसीलिए तेल खरीद से जुड़े निर्णय भारत के विदेश व्यापार, मुद्रा विनिमय दर और चालू खाता घाटे पर गहरा असर डालते हैं.

    सीतारमण ने जोर देकर कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण निर्णयों में भारत को स्वतंत्र रूप से सोचने और कार्य करने का अधिकार है.

    अमेरिका का दबाव और टैरिफ की मार

    वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल आयात को लेकर नाराज़गी जताई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहा है.

    इसी के चलते अमेरिका ने:

    • 27 अगस्त से भारत से आने वाली वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया है.
    • पहले से लागू 25% टैरिफ के साथ, अब कुल 50% शुल्क वसूला जा रहा है.
    • राष्ट्रपति ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर भारत रूस से तेल खरीदता रहा, तो अमेरिका "फेज-2" और "फेज-3" टैरिफ भी लागू कर सकता है.

    इन टैरिफों का असर भारतीय निर्यातकों पर पड़ सकता है, खासकर उन उद्योगों पर जो अमेरिका को वस्तुएं भेजते हैं, जैसे टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स और आईटी हार्डवेयर.

    भारत की ऊर्जा नीति: बहुपक्षीय संतुलन

    भारत की ऊर्जा रणनीति हमेशा से संतुलन और विविधता पर आधारित रही है. भारत:

    • खाड़ी देशों (सऊदी अरब, यूएई, इराक) से परंपरागत रूप से तेल आयात करता रहा है.
    • लेकिन रूस से मिलने वाला डिस्काउंटेड क्रूड भारत को सस्ता और विश्वसनीय विकल्प प्रदान करता है.
    • रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ने से भारत को मुद्रा भंडार बचाने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, और विकास परियोजनाओं की लागत को कम करने में मदद मिली है.

    सीतारमण ने कहा कि आर्थिक विकास की गति बनाए रखना भारत की प्राथमिकता है, और इसमें ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति जरूरी है.

    ये भी पढ़ें- भूकंप में महिलाओं के लिए मुसीबत बना तालिबानी फरमान, मलबे में फंसी रहीं, राहत कर्मियों ने छुआ तक नहीं