भारत ने पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आर्थिक उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. E20 पेट्रोल कार्यक्रम के तहत इस साल किसानों को लगभग 40,000 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद है, जबकि सरकार को 43,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी. ऑटोमोटिव टेस्टिंग एजेंसी (ARAI), तेल कंपनियों और वाहन निर्माताओं के संयुक्त बयान में यह जानकारी सामने आई है. यह पहल न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है, बल्कि कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को कम करके पर्यावरण को भी लाभ पहुंचा रही है.
E20 कार्यक्रम की शुरुआत और उद्देश्य
एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) कार्यक्रम की शुरुआत 2001 में हुई थी, लेकिन हाल के वर्षों में सरकार ने इसे तेजी से बढ़ावा दिया है. इसका मुख्य लक्ष्य कच्चे तेल के आयात को कम करना, किसानों की आय बढ़ाना और पर्यावरण को स्वच्छ रखना है. इस कार्यक्रम के तहत गन्ने और अन्य फसलों से बने एथनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता है, जिससे न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है, बल्कि किसान भी 'अन्नदाता' से 'ऊर्जादाता' बन रहे हैं.
पर्यावरण और आर्थिक लाभ
पिछले 11 वर्षों में E20 कार्यक्रम ने भारत को 1.44 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत कराई है. इस दौरान 245 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल की जगह एथनॉल का उपयोग हुआ, जिससे 736 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई. यह उपलब्धि 30 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रही है, क्योंकि कच्चे तेल के आयात पर खर्च होने वाला पैसा अब किसानों की जेब में जा रहा है.
माइलेज और प्रदर्शन पर स्पष्टीकरण
E20 फ्यूल को लेकर कुछ लोगों में माइलेज कम होने की आशंका थी, जिसका जवाब बयान में स्पष्ट रूप से दिया गया है. विशेषज्ञों के अनुसार, वाहन की माइलेज मुख्य रूप से ड्राइविंग की आदतों, गाड़ी के रखरखाव, उसकी उम्र और टायरों की स्थिति पर निर्भर करती है, न कि एथनॉल की मात्रा पर. पुराने वाहनों पर किए गए परीक्षणों में माइलेज में केवल मामूली कमी देखी गई. इसके विपरीत, एथनॉल की उच्च ऑक्टेन रेटिंग (108.5) के कारण आधुनिक हाई-कंप्रेशन इंजनों का प्रदर्शन बेहतर होता है, खासकर शहरी ड्राइविंग में.
E20 के तकनीकी फायदे
एथनॉल मिश्रित पेट्रोल की गुणवत्ता BS-VI मानकों के तहत उन्नत हो गई है. पेट्रोल का रिसर्च ऑक्टेन नंबर (RON) 88 से बढ़कर 95 हो गया है, जिससे इंजन में नॉकिंग की समस्या कम होती है और वाहन का प्रदर्शन बेहतर होता है. एथनॉल का उपयोग न केवल इंजन की दक्षता बढ़ाता है, बल्कि इसे पर्यावरण के लिए भी अनुकूल बनाता है. यह खासकर उन वाहनों के लिए फायदेमंद है जो उच्च प्रदर्शन की मांग करते हैं.
अफवाहों का खंडन
हाल ही में सोशल मीडिया पर E20 पेट्रोल को लेकर कई अफवाहें फैलीं, जैसे कि इससे वाहनों के फ्यूल टैंक में पानी घुस रहा है या बीमा कवर प्रभावित हो रहा है. इन सभी दावों को ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने खारिज कर दिया है. डीलर्स ने स्पष्ट किया कि उन्हें एथनॉल मिश्रित पेट्रोल को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है. सरकारी अधिकारियों और बीमा कंपनियों ने भी पुष्टि की है कि E20 पेट्रोल का उपयोग करने वाले वाहनों का बीमा और वारंटी पूरी तरह मान्य रहेगी.
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