UN ने किया गाजा में अकाल का ऐलान, कहा- 500000 लोग भुखमरी की कगार पर, इजरायल ने आंकड़ो को बतााया झूठा

    संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में गाज़ा में गहराते मानवीय संकट को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है. यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, गाज़ा पट्टी में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वहां भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

    Famine declared in Gaza 500000 people on the verge of starvation
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ Sociel Media

    गाज़ा सिटी: संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में गाज़ा में गहराते मानवीय संकट को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है. यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, गाज़ा पट्टी में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वहां भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इस संकट से करीब 5 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं और स्थिति अगर यूं ही बनी रही तो यह पूरे क्षेत्र में और अधिक विकराल रूप ले सकती है.

    संयुक्त राष्ट्र की मानवीय मामलों की एजेंसी के प्रमुख टॉम फ्लेचर ने कहा कि यह त्रासदी "पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली" थी, लेकिन लगातार जारी युद्ध, सीमित मानवीय सहायता और नागरिकों की सुरक्षा की अनदेखी ने इसे इस स्तर तक पहुंचा दिया.

    हालांकि, इज़रायल सरकार ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि गाज़ा में ऐसी कोई "अकाल जैसी" स्थिति नहीं है.

    पहली बार पश्चिम एशिया में अकाल घोषित

    आईपीसी (Integrated Food Security Phase Classification) जो वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा के मूल्यांकन के लिए एक मान्यता प्राप्त संस्था है ने अपनी ताजा रिपोर्ट में गाज़ा सिटी को "अकाल-ग्रस्त" क्षेत्र करार दिया है. यह पहला अवसर है जब पश्चिम एशिया के किसी इलाके में आधिकारिक रूप से अकाल की स्थिति को मान्यता दी गई है.

    आईपीसी का आकलन बताता है कि अगर युद्ध-विराम नहीं हुआ और मानवीय सहायता निर्बाध रूप से नहीं पहुंचाई गई, तो यह संकट दक्षिण गाज़ा के दीर अल-बलाह और खान यूनिस जैसे इलाकों तक फैल सकता है.

    क्यों हो रही है गाज़ा में भुखमरी?

    इस संकट के पीछे कई कारण हैं:

    लगातार युद्ध: गाज़ा में पिछले लगभग दो वर्षों से सैन्य संघर्ष चल रहा है, जिससे स्थानीय जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है.

    मानवीय सहायता की बाधा: इज़रायल द्वारा गाज़ा में सहायता पहुंचाने वाले रास्तों पर लगाई गई पाबंदियों ने राहत कार्यों को प्रभावित किया है.

    आंतरिक विस्थापन: बड़ी संख्या में लोग अपने घर छोड़कर कैंपों में शरण लेने को मजबूर हैं, जहां भोजन, पानी और दवाइयों की भारी किल्लत है.

    स्थानीय खाद्य उत्पादन पर असर: खेत, बाजार और आपूर्ति चेन के बर्बाद हो जाने के कारण स्थानीय उत्पादन भी ठप हो गया है.

    आईपीसी के अनुसार, गाज़ा की कुल आबादी का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा, यानी पांच लाख से ज्यादा लोग, "आपातकालीन भूख संकट" की श्रेणी में हैं और इनमें से कई की जान कुपोषण और भुखमरी के कारण खतरे में है.

    इज़रायल की प्रतिक्रिया

    इस रिपोर्ट के जवाब में इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि गाज़ा में भूख से मौतें नहीं हो रही हैं और इस तरह की खबरें "हमास द्वारा फैलाई जा रही झूठी जानकारी" पर आधारित हैं. उन्होंने दावा किया कि गाज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाई जा रही है और इज़रायल इस दिशा में अपने प्रयासों को तेज कर रहा है.

    इज़रायली सैन्य एजेंसी COGAT जो गाज़ा में मानवीय सहायता की निगरानी करती है ने भी आईपीसी की रिपोर्ट को "झूठा और पक्षपातपूर्ण" करार दिया. सीओजीएटी के अनुसार, हाल के सप्ताहों में सहायता पहुंचाने के लिए कई "व्यावहारिक और रणनीतिक कदम" उठाए गए हैं, जिनसे गाज़ा में सहायता की मात्रा में वृद्धि हुई है.

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